मौलवी का दावा : इंसान चंद्रमा पर कभी नहीं पहुंचा, NASA ने हॉलीवुड फिल्म जैसा फिल्माया था
सउदी अरब के शेख बांदर अल-खैबारी नामक एक मौलवी का इंटरनेट पर पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किये लेकिन लोग उसे लोग पचा नही पाए । दरअसल उन्होंने कुछ ऐसे अजीबोगरीब खुलासे किये थे जिससे हर कोई ना ही मात्र हैरान रह गया बल्कि किसी के भी उनकी बात गले नही उतरी फलस्वरूप उनका ही मजाक बन गया । जो वीडियो नेट पर डाला गया है जिसमें मौलवी छात्रों को बता रहे है कि सूरज, धरती का चक्कर लगाता है। यदि ऐसा नहीं होता, तो विमान कभी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते। शेख बांदर अल-खैबारी ने दावा किया कि धरती स्थिर है और सूर्य उसकी परिक्रमा करता है।
शेख बांदर अल-खैबारी वायरल हुए वीडियो अपनी बात को साबित करने के लिए धार्मिक बातों और मौलवियों की टिप्पणियों का हवाला दे रहे थे । अजीबोगरीब समीकरण देते हुए मौलवी ने कहा कि यदि धरती वास्तव में घूम रही होती, तो विमान कभी भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते। मौलवी अल-खैबारी ने संयुक्त अरब अमीरात की एक यूनिवर्सिटी में लेक्चर देते वक्त कहा कि, यदि धरती घूम रही होती और शारजाह से चीन जाना होता, तो विमान को वहां के लिए उड़ान भरने के बजाय हवा में रुक जाना चाहिए। धरती घूम रही है, तो चीन अपने आप घूमते हुए शारजाह तक पहुंच जाएगा। वहीं दूसरी ओर यदि धरती उल्टी दिशा में घूम रही होती, तो विमान वहां कभी नहीं पहुंच पाता क्योंकि चीन भी घूम रहा होगा। यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने के दौरान खैबारी ने यह भी रहस्योद्घाटन किया कि चंद्रमा में नासा (अमेरिका) की लैंडिंग फर्जी है और यह हॉलीवुड की कोरी कल्पना थी । उन्होंने कहा कि, असलियत तो यह है कि, इंसान चंद्रमा में कभी पहुंचा ही नहीं है । वैसे मौलवी की अन्य बातों को छोड़ दिया जाय तो कई लोग यह मानते आये हैं कि अमेरिका कभी चाँद पर नही पहुंचा था बल्कि उसने यह सब विज्ञान की मदद से फिल्माया था । यह वीडियो नेट पर प्रसारित होने के बाद से सोशल मीडिया में वायरल हो गया है
शेख बांदर अल-खैबारी वायरल हुए वीडियो अपनी बात को साबित करने के लिए धार्मिक बातों और मौलवियों की टिप्पणियों का हवाला दे रहे थे । अजीबोगरीब समीकरण देते हुए मौलवी ने कहा कि यदि धरती वास्तव में घूम रही होती, तो विमान कभी भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते। मौलवी अल-खैबारी ने संयुक्त अरब अमीरात की एक यूनिवर्सिटी में लेक्चर देते वक्त कहा कि, यदि धरती घूम रही होती और शारजाह से चीन जाना होता, तो विमान को वहां के लिए उड़ान भरने के बजाय हवा में रुक जाना चाहिए। धरती घूम रही है, तो चीन अपने आप घूमते हुए शारजाह तक पहुंच जाएगा। वहीं दूसरी ओर यदि धरती उल्टी दिशा में घूम रही होती, तो विमान वहां कभी नहीं पहुंच पाता क्योंकि चीन भी घूम रहा होगा। यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने के दौरान खैबारी ने यह भी रहस्योद्घाटन किया कि चंद्रमा में नासा (अमेरिका) की लैंडिंग फर्जी है और यह हॉलीवुड की कोरी कल्पना थी । उन्होंने कहा कि, असलियत तो यह है कि, इंसान चंद्रमा में कभी पहुंचा ही नहीं है । वैसे मौलवी की अन्य बातों को छोड़ दिया जाय तो कई लोग यह मानते आये हैं कि अमेरिका कभी चाँद पर नही पहुंचा था बल्कि उसने यह सब विज्ञान की मदद से फिल्माया था । यह वीडियो नेट पर प्रसारित होने के बाद से सोशल मीडिया में वायरल हो गया है
on Wednesday, 30 November 2016
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modi Sarkar Ka Jhatka :- बंद हो जाएगी रिलायंस जियो की फ्री सर्विस
रिलायंस जिओ यूजर्स के लिए एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। 4 दिसंबर से जिओ यूजर्स को सर्विस इस्तेमाल करने के लिए शुल्क देना पड़ेगा। आपको बता दें कि यह ऑफर 5 सितंबर को लॉन्च किया गया था और 31 दिसंबर को खत्म होना था।
लेकिन अब यह प्लान 3 दिसंबर को ही खत्म हो जाएगा। टेलिकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मौजूदा नियमों के तहत कोई भी ऑपरेटर 90 दिन से ज्यादा यूजर्स को फ्री वेलकम ऑफर नहीं दे सकता है।
रिलायंस जिओ कंपनी के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि जिओ का वेलकम ऑफर 3 दिसंबर को खत्म हो जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग 3 दिसंबर तक जिओ सर्विस का सब्साक्रिप्शन लेंगे उन्हें 31 दिसंबर तक फ्री सेवाएं दी जाएंगी।
इसके अलावा जो लोग 3 दिसंबर के बाद जिओ सब्सनक्रिप्शन लेते हैं उन्हें इसका कमर्शियल प्लान लेना होगा। 3 दिसंबर के बाद जिओ सिम लेने वाले यूजर्स को नए ऑफर और आकर्षक टैरिफ प्लान उपलब्ध कराए जाएंगे।
लेकिन अब यह प्लान 3 दिसंबर को ही खत्म हो जाएगा। टेलिकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मौजूदा नियमों के तहत कोई भी ऑपरेटर 90 दिन से ज्यादा यूजर्स को फ्री वेलकम ऑफर नहीं दे सकता है।
रिलायंस जिओ कंपनी के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि जिओ का वेलकम ऑफर 3 दिसंबर को खत्म हो जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग 3 दिसंबर तक जिओ सर्विस का सब्साक्रिप्शन लेंगे उन्हें 31 दिसंबर तक फ्री सेवाएं दी जाएंगी।
इसके अलावा जो लोग 3 दिसंबर के बाद जिओ सब्सनक्रिप्शन लेते हैं उन्हें इसका कमर्शियल प्लान लेना होगा। 3 दिसंबर के बाद जिओ सिम लेने वाले यूजर्स को नए ऑफर और आकर्षक टैरिफ प्लान उपलब्ध कराए जाएंगे।
What RBI Will Do With 18 Billion 500 and 1,000 Rupee Notes
What RBI Will Do With 18 Billion 500 and 1,000 Rupee Notes
Most RBI branches house shredding centres and the notes will be recycled for office and industrial use
New Delhi: Old notes can be used till December 15 at petrol pumps and government utilities and deposited in banks till the end of that month. But what happens to the 500 and 1,000 rupee notes that Prime Minister Narendra Modi banned earlier this month to combat corruption and black money?
The demonetisation exercise sucked 18 billion 500 and 1,000 rupee notes valued at Rs 14 lakh crore out of circulation. The Reserve Bank of India, the printer and issuer of currency, has inherited that mountain of paper and will now shred and pulp it for recycling, said government sources.
Most RBI branches house shredding centres and banks will send the old notes there in neat stacks and bundles to be turned into heaps of short strips. Much of that will be recycled into pulp and then either fashioned into briquettes or compressed blocks, or then will be used to make office stationary like calendars, paper weights, files and boards.

National anthem: Why do we even play it before a movie begins and then bully people to stand?
Editor's Note: This article was originally published on 17 January, 2016. It is being updated to reflect Wednesday's ruling by the Supreme Court of India that the National Anthem must be played in public theaters across the country before a movie, minus any dramatisation. It also ordered that the National Flag be shown on screen when the anthem is played.
On Tuesday, 26-year-old Neeraj Pandey, a resident of Mumbai's suburb of Kandivali, went to watch the matinee show of Wazir. Like in all of the city's theatres and cineplexes, the National Anthem was played before the screening of the film. While the entire audience stood up, Pandey decided otherwise. What do you think happened next?
We all know the answer.
Pandey was first heckled by a group of people because he was sitting while the Anthem was playing and then he - along with his group of friends - was peacefully escorted from the premises by the manager. A good friend of his later posted this on Facebook:
This has nothing to do with national pride or our system or the government or the law or the police. It is a social problem and in everyday language we call it gundagardi.
The group of people who heckled Pandey probably returned home happy, thinking they made noise and some sort of impact when someone did not 'respect' the National Anthem. This is not patriotism, this is hooliganism and bullying.
This is similar to incidents when girls are blamed for venturing into gullies where they know boys will harass them. "Why did you go there when you know boys will tease you." People who chose to sit during National Anthem don't do so because they want to provoke a bunch of 'patriots'.
Unfortunately, the sense of patriotism does not kick in where it should for most of these people. The fact that Indians are famous for littering does not bother these so called desh-bhakts. But by jeering or heckling someone inside a theatre for a reason purely personal, and by making them leave out of sheer exasperation, it gives them a sense of dominance. It gives them this false sense of achievement where they think they stood up for their nation and its pride.
Well, they did nothing of the sort. They are just a nuisance and this is not about any notion of national pride. It's about them and the various issues from which they suffer.
Legally, you are not bound to stand up when it plays. In fact, the Ministry of Home Affairs's (MHA) Orders relating to the National Anthem of India says, "Whenever the Anthem is sung or played, the audience shall stand to attention." The orders make no mention of any penalty for failure to comply. As senior advocate Iqbal Chagla told The Times of India, "Guidelines from the home ministry are not legislation. They serve an advisory role."
Incidentally, Section 3 of the Prevention of Insults to National Honour Act, 1971, says, "Whoever intentionally prevents the singing of the Indian National Anthem or causes disturbances to any assembly engaged in such singing shall be punished with imprisonment for a term, which may extend to three years, or with fine, or with both."
By this accord, those who force others to stand or leave if they don't 'respect' the National Anthem, in turn are creating a ruckus and are in fact those who do not respect the National Anthem. And this argument can be substantiated by the MHA order, which grants one exception. "In the course of a newsreel or documentary, if the Anthem is played as part of the film, the audience is not expected to stand up as it would create disorder and confusion."
Established Indian case law is of limited use in examining the issue. Given the lack of legislative and jurisprudential instances in India , it might be better if we considered a case from another country.
The Supreme Court of the United States in 1989 case of Texas versus Johnson, had shot down a law which prohibited the desecration of certain venerated objects, such as state and national flags, and proscribed the state from criminalising or penalising any action that did not satisfy the more tearing concept of either allegiance to the state or respecting national honour. According to the court, these acts were shielded by the First Amendment, which guarantees citizens the freedom of speech. The American law, unlike the Indian law, does not cite a 'reasonable restrictions' clause on these freedoms.
Another US case, dating back to 1919(Abrams versus United States)supported a stronger argument against the suppression of ideas by those in power and offered the permission of dissent. The case was about distribution of pamphlets which criticised the US troop deployment in Russia during the Russian Civil War of 1918. Justice Holmes, in his opinion, said:
If you have no doubt of your premises or your power, and want a certain result with all your heart, you naturally express your wishes in law, and sweep away all opposition. … But when men have realised that time has upset many fighting faiths, they may come to believe even more than they believe the very foundations of their own conduct that the ultimate good desired is better reached by free trade in ideas-that the best test of truth is the power of the thought to get itself accepted in the competition of the market, and that truth is the only ground upon which their wishes safely can be carried out.
It would perhaps be too optimistic to expect such a dissenting opinion from an Indian court but this brings us to this third question related to similar cases.
Why do play the national anthem before screening of movies in theatres? In 2003, the then Congress-NCP government had accepted a demand from the Nationalist Youth Congress to restart and enforce the practice of playing the national anthem before each film, which had faded in the 1980s. The Home department was then headed by NCP's Chhagan Bhujbal.
Exhibition of films is a state subject whereas the 'sanctioning of cinematographic films for exhibition is governed by Article 60 of the Union List of the Constitution of India (seventh schedule), the (exhibition of) cinemas is governed by Article 33 of the State List. Most states have their own Cinematograph Act and Rules, which supplement the Cinematograph Act, 1952, administered by the Ministry of Information and Broadcasting.
Till the 1980s, news reels screening important national or international events had the national anthem as a part of it. An executive order was issued in 2003 by the Maharashtra government, asking exhibitors to play the national anthem before the screening of a film. Exhibitors have produced their own versions of the national anthem which they are currently playing before a film screening.
Such a film, playing the full National Anthem (approximately 52 seconds), would fall within the category of short films, as per the Cinematograph Act, 1952, and is duly certified by the Central Board of Film Certification for exhibition.
But according to The Orders Relating To The National Anthem Of India,cinema halls are not listed as one of the places to showcase the National Anthem. The simpler argument, however, is that you have a captive audience which is there to watch a film and if you play the National Anthem just before the film starts, the audience has literally nowhere to go but be a part of it. It is a way in which the government is force-feeding you national pride.
But don't you dilute the importance of the National Anthem when you play it in theatres before every film? Make it cheaper by forcing people to listen to it, and then add to this the hooligans who take it upon themselves to serve 'justice' when someone does not want to get up.
Usually, the National Anthem is played at the beginning of public gatherings and official functions as determined by the government and its respective ministry of internal affairs. This is to help promote a spirit of allegiance and patriotism.
This, however, is promoting a spirit that has nothing to do with patriotism of any sort.
on Tuesday, 29 November 2016
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Narendra Modi's ideas are grand break from the past, but when will we see results?
It was said about the French leader Valéry Giscard d'Estaing that the idea of a European Union thrilled him but the details bored him. I have often suspected that this attitude is to be found in many of the things that are taken up by this government.
Over two weeks have gone by since Narendra Modi's grand strike against black money and it is fair to say that two things need to be acknowledged. First, that the wide popular support for Modi is holding despite the inconvenience. Second, that the evidence of an economic problem caused by the shortage of cash is piling up through reports.
The reports are similar, whether from Surat or Ludhiana or Moradabad, all manufacturing centres. They speak of units either running under-capacity or shutting down because of lack of demand, and of raw materials being unavailable because of cash shortage. Another common factor is the reluctance of the units to keep labour and migrant workers being laid off or told to return home for now. We will have to wait for proper data to come in but if the anecdotal reports are indicators of something larger going on there is trouble ahead in December and the new year.
What explains the support for Modi which, and this cannot be denied, is wide and popular despite the uncertainty deliberately produced? Let us look at it since this period has also brought the Modi government to mid point. The unique thing about Modi's time in office so far is his launching of magnificent schemes and major announcements. These launches and announcements capture the imagination of the country, certainly, they capture the attention of the media.
Make in India, bullet train, Smart Cities, Swachch Bharat, surgical strike, demonetisation. All of these and other initiatives of Modi share a pattern. They represent a grand break from the past. They promise to rip away the old and decayed and replace it with something new and better.
Do they achieve this to any extent? What are the real consequences? These we will know only in time. Let us look at one example. The surgical strike after the attack on Uri was meant to be a response to violence being sent from across the Line of Control. It has been reported that since the surgical strike, the Indian army has lost 20 soldiers. This happened mainly because the LoC, which was previously relatively peaceful under a ceasefire, has been aflame after the surgical strike.
The defence minister now says that the ceasefire is holding again but meanwhile 20 Indians are dead. So was the surgical strike a good decision? It is anti-national to answer that question in any way but one so we will leave it there. I should say however that the Indian soldier is worshipped and expected to martyr himself. There is only a sort of reverence for his contribution and no real respect for his life.
This theme of grand announcement leading up to something whose benefits and damage we are not certain of can be said about many announcements. The surgical strike against black money will, of course, take a little longer to show its real effect. But what about the bullet train, on which we are spending about Rs 1 lakh crore? What about expending diplomatic energy and the prime minister's personal goodwill on the pursuit of a position in the nuclear suppliers group?
Have the consequences been analysed with the rigour that is expected? I am not questioning the intention here, and I have no doubt that the government means well. I am merely curious to know whether my suspicions of it being enthusiastic about shooting first and aiming later are unfounded.
Modi is our most credible politician. No other leader could have led the nation into such turbulence with confidence that he would carry the day. He will remain popular for the rest of his remaining two and a half years and will be very difficult to beat in 2019. Many of the consequences of his actions will be stand revealed before that and I hope for his sake and for ours that he has been as interested in the details as he was thrilled by the grand idea
महागठबंधन में दिखने लगे दरार के संकेत, नीतीश के बजाय मोदी का बचाव कर रहें लालू
नई दिल्ली : विरोधियों के बदल रहे हैं सुर। हमेशा मंहगाई को ले कर केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लेने वाले लालू प्रसाद यादव ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों पर मोदी सरकार का बचाव किया हैं।
लालू यादव ने कहा की पेट्रोलियम की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से तय होता हैं। सरकार नहीं तय करती। जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत कम होगी तो यहाँ भी खुद-ब-खुद कम हो जायेगी। जितनी खपत दुनिया में पेट्रोल की है उतना उत्पादन नही होता। इसके अलावा पेट्रोल-डीजल पर कई तरह के एक्साइज़ ड्यूटी और टैक्स लगाने होते। केंद्र सरकार भला कितनी सब्सिडी दे।
पेट्रोलियम पदार्थों को ले कर लालू प्रसाद यादव के द्वारा मोदी सरकार का समर्थन करना चौकाने वाली बात हैं। इसी मंहगाई को मुद्दा बना कर लालू प्रसाद ने बिहार विधान सभा चुनाव में केंद्र की भाजपा सरकार को घेरा था। वे अक्सर मंहगाई को ले कर मोदी सरकार पे वार करते रहे हैं।
on Tuesday, 22 November 2016
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सुभाष चंद्रा ने देशद्रोही केजरीवाल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस किया।हो सकता है जेल
नयी दिल्ली : राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्रा ने आज शहर की एक अदालत में बडे पुराने नोटों का चलन बंद होने के बीच झूठा आरोप लगाकर उनकी कथित रुप से मानहानि करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अभियोजन की मांग की.
एस्सेल समूह के चेयरमैन चंद्रा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि केजरीवाल ने 11 नवंबर को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उनके खिलाफ ‘‘झूठे, मनगढंत और मानहानिपूर्ण आरोप' लगाए. कल सुनवाई के लिए रखी जा सकने वाली इस शिकायत में मुख्यमंत्री के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत अभियोजन की मांग की गई.
अधिवक्ता विजय अग्रवाल के जरिये दायर शिकायत में दावा किया गया कि केजरीवाल ने मानहानिपूर्ण बयान देकर शिकायतकर्ता (चंद्रा) की मानहानि की और अवैध क्रियाकलापों में शामिल होने का संकेत देकर तथा अनुचित व्यवहार संबंधी लांछन लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचाया. शिकायत में कहा गया कि केजरीवाल ने 11 नवंबर को राष्ट्रीय मीडिया के सामने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठे, मनगढंत और मानहानिपूर्ण आरोप लगाए.
एस्सेल समूह के चेयरमैन चंद्रा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि केजरीवाल ने 11 नवंबर को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उनके खिलाफ ‘‘झूठे, मनगढंत और मानहानिपूर्ण आरोप' लगाए. कल सुनवाई के लिए रखी जा सकने वाली इस शिकायत में मुख्यमंत्री के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत अभियोजन की मांग की गई.
अधिवक्ता विजय अग्रवाल के जरिये दायर शिकायत में दावा किया गया कि केजरीवाल ने मानहानिपूर्ण बयान देकर शिकायतकर्ता (चंद्रा) की मानहानि की और अवैध क्रियाकलापों में शामिल होने का संकेत देकर तथा अनुचित व्यवहार संबंधी लांछन लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचाया. शिकायत में कहा गया कि केजरीवाल ने 11 नवंबर को राष्ट्रीय मीडिया के सामने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठे, मनगढंत और मानहानिपूर्ण आरोप लगाए.
जो खानदान न संभाल सके वे प्रदेश क्या संभालेंगे: असदउद्दीन ओवैसी
आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने सूबे की सत्तारूढ़ सपा सरकार, मुलायम परिवार, भाजपा और आरएसएस पर अपने ही अंदाज में जमकर हमला बोला। अमरोहा के जेएस हिंदू कालेज मैदान में मंगलवार को हुई जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा जो सरकार खानदान न संभाल सके, वह प्रदेश क्या संभालेगी। सपा में चल रहे घमासान पर भी चुटकी ली। बोले बेटा बाप की साइकिल पंक्चर कर रहा है तो चाचा टायर खींच रहा है। एक दूसरे में खींचतान चल रही है। सपा यादव परिवार है। मुजफ्फरनगर के दंगे में मारे गए मुस्लिमों के लिए सपा सरकार ने कुछ नहीं किया।
जनता बीजेपी को कहेगी तलाक-तलाक-तलाक
असदउद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक के मुद्दे पर कहा- मुसलमान कभी भी शरीयत में दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेगा। कहा कि यूपी में चुनाव नजदीक हैं, इसलिए भाजपा तलाक को मुद्दा बना रही है। मुल्क को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है, मगर यहां की अवाम मुल्क की ताकत, खूबसूरती, पहचान व भाईचारे को कभी खत्म नहीं होने देगी। हिंदुस्तान की अवाम उसकी साजिशों को नाकाम करके रहेगी। यूपी चुनाव में जनता बीजेपी व आरएसएस को तलाक-तलाक-तलाक कहेगी।
महबूब अमरोहा के लिए नासूर बन गए हैं
कैबिनेट मंत्री और स्थानीय नेता महबूब अली पर भी हमला बोलते हुए कहा कि मेरे महबूब तो महबूब हैं, बेटा कब्रिस्तानों की जमीन तक नहीं छोड़ता। अमरोहा के लिए महबूब नासूर बन गए हैं। अमरोहा के जेएस हिंदू कालेज मैदान में मंगलवार को हुई जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि जामा मस्जिद के बाहर बारिश का पानी भर जाए तो लोगों को नमाज पढ़ने के लिए परेशानी उठानी पड़ती है। ये अमरोहा का विकास है। शिक्षा मंत्री रहते हुए एक यूनिवर्सिटी तक नहीं बनवा पाए, ऐसे मंत्री से क्या विकास की उम्मीद कर सकोगे।
असदउद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक के मुद्दे पर कहा- मुसलमान कभी भी शरीयत में दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेगा। कहा कि यूपी में चुनाव नजदीक हैं, इसलिए भाजपा तलाक को मुद्दा बना रही है। मुल्क को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है, मगर यहां की अवाम मुल्क की ताकत, खूबसूरती, पहचान व भाईचारे को कभी खत्म नहीं होने देगी। हिंदुस्तान की अवाम उसकी साजिशों को नाकाम करके रहेगी। यूपी चुनाव में जनता बीजेपी व आरएसएस को तलाक-तलाक-तलाक कहेगी।
महबूब अमरोहा के लिए नासूर बन गए हैं
कैबिनेट मंत्री और स्थानीय नेता महबूब अली पर भी हमला बोलते हुए कहा कि मेरे महबूब तो महबूब हैं, बेटा कब्रिस्तानों की जमीन तक नहीं छोड़ता। अमरोहा के लिए महबूब नासूर बन गए हैं। अमरोहा के जेएस हिंदू कालेज मैदान में मंगलवार को हुई जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि जामा मस्जिद के बाहर बारिश का पानी भर जाए तो लोगों को नमाज पढ़ने के लिए परेशानी उठानी पड़ती है। ये अमरोहा का विकास है। शिक्षा मंत्री रहते हुए एक यूनिवर्सिटी तक नहीं बनवा पाए, ऐसे मंत्री से क्या विकास की उम्मीद कर सकोगे।
on Tuesday, 15 November 2016
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अब Airtel के सारे नंबर होंगे बंद
INDIA की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बड़े कर्जे में डूबने वाली है। अगर ऐसा हुआ तो कंपनी को सारी सर्विस बंद करनी पड़ेगी।भारतीय एयरटेल कंपनी द्वारा स्पेक्ट्रम खरीने के चलते दो अरब डॉलर (करीब 13,300 करोड़ रुपए) तक का कर्ज बढ़ सकता है। लेकिन परिचालन और कार्यविधियों के मौद्रीकरण से मिलने वाले नकदी प्रवाह से इस स्तर में अगले छह-बारह महीनों में कमी आने की उम्मीद है। यह जानकारी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने अपनी एक रिपोर्ट में दी।
देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने हाल में खत्म हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में 14,244 करोड़ रुपए में 173.8 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा है। उसने 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज और 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदा है और अब उसके पास सभी सर्किलों में 3जी और 4जी स्पेक्ट्रम है।
देश की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने हाल में खत्म हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में 14,244 करोड़ रुपए में 173.8 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा है। उसने 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज और 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदा है और अब उसके पास सभी सर्किलों में 3जी और 4जी स्पेक्ट्रम है।
मूडीज के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ रिण अधिकारी एन्नालिसा डिचियारा ने कहा कि स्पेक्ट्रम की कीमत अदा करने के लिए एयरटेल का कर्ज यद्यपि दो अरब डॉलर बढ़ जाएगा लेकिन यह लघु अवधि में ही सामान्य हो जाएगा क्योंकि परिचालन और कार्यविधियों के मौद्रीकरण से मिलने वाले नकदी प्रवाह से अगले छह से बारह महीनों में उसके रिण स्तर में कमी आने की उम्मीद है।
मूडीज का मानना है कि कंपनी स्पेक्ट्रम के लिए टुकड़ों में 12 महीनों में भुगतान का विकल्प चुनेगी। इसमें उसे 50 प्रतिशत धन पहले चुकाना होगा जो 7,100 करोड़ रुपए बनता है। इसकी व्यवस्था मुख्यत: रिण से की जाएगी। बाकी धन 10 वार्षिक किस्तों में चुकाया जाना है। भारतीय इन्फ्राटेल का शेयरों के हिसाब से बाजार मूल्य 11 अक्तूबर को 69,800 करोड़ रुपए था। इसमें भारती की हिस्सेदारी का बाजार मूल्य 50,200 करोड़ रुपए (7.5 अरब डालर) बनता है।
अब नोट बदलवाने वालों की उंगली पर लगेगी स्याही, बार-बार बदलने वाले हैं भ्रष्टाचारी
पुराने नोट बदलने और एटीएम से पैसे निकालने में आ रही दिक्कतों के बीच सरकार ने भरोसा दिलाया है कि देश में नकदी की कोई कमी नहीं है.
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग कर बताया कि नोटबंदी के बाद बार-बार बैंक में पैसा बदलवाने के लिए पहुंच रहे लोगों के खिलाफ अब सरकार ने कार्रवाई करने का फैसला किया है.
उन्होंने बताया कि बार-बार पैसे बदलने आ रहे लोगों की अब पहचान की जाएगी. इसके अलावा काला धन जमा कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
प्रेस ब्रीफिंग की बड़ी बातें:-
बार-बार नोट बदलने वालों पर कार्रवाई होगी. ऐसे लोगों की वजह से लंबी कतारें लग रही हैं.
कैश लेने वालों की उंगली पर मतदान की तरह निशान लगेगा. आज से बड़े शहरों में स्याही वाली व्यवस्था शुरू हो रही है.
जन-धन खाते में किसी और का पैसा न डालें. ऐसे खाते पर सरकार पैनी नजर रख रही है. इनमें काला धन आने पर कार्रवाई होगी.
जन-धन खाते में जमा की जाने वाली राशि की सीमा तय की गई. अब केवल 50 हजार ही जमा होंगे. वैध पैसा जमा करने वालों को कोई असुविधा नहीं होगी.
नया नोट थोड़ा रंग छोड़ सकता है. नया नोट अगर रंग नहीं छोड़ रहा है तो जाली नोट का संकेत है.
देश में नमक की कोई कमी नहीं. सोशल मीडिया पर गलत तस्वीरें डाली जा रही हैं. लोग अफवाहों पर ध्यान ना दें.
कर्मचारियों की हड़ताल की बात झूठी.
सरकारी अस्पताल पुराने नोट लेंगे.
शादी में शगुन के लिए चेक का इस्तेमाल करें.
धार्मिक स्थानों से अपील है कि वो चढ़ावे के तौर पर चढ़ने वाले छोटे नोटों को तत्काल बैंकों में जमा कराएं ताकि करेंसी की मात्रा बढ़े.
देश में नकदी की कोई कमी नहीं. ब्रांच पोस्ट ऑफिसों और जिला सहकारी बैंकों में नकदी की उपलब्धता भी बढ़ाई गई है.
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग कर बताया कि नोटबंदी के बाद बार-बार बैंक में पैसा बदलवाने के लिए पहुंच रहे लोगों के खिलाफ अब सरकार ने कार्रवाई करने का फैसला किया है.
उन्होंने बताया कि बार-बार पैसे बदलने आ रहे लोगों की अब पहचान की जाएगी. इसके अलावा काला धन जमा कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
प्रेस ब्रीफिंग की बड़ी बातें:-
बार-बार नोट बदलने वालों पर कार्रवाई होगी. ऐसे लोगों की वजह से लंबी कतारें लग रही हैं.
कैश लेने वालों की उंगली पर मतदान की तरह निशान लगेगा. आज से बड़े शहरों में स्याही वाली व्यवस्था शुरू हो रही है.
जन-धन खाते में किसी और का पैसा न डालें. ऐसे खाते पर सरकार पैनी नजर रख रही है. इनमें काला धन आने पर कार्रवाई होगी.
जन-धन खाते में जमा की जाने वाली राशि की सीमा तय की गई. अब केवल 50 हजार ही जमा होंगे. वैध पैसा जमा करने वालों को कोई असुविधा नहीं होगी.
नया नोट थोड़ा रंग छोड़ सकता है. नया नोट अगर रंग नहीं छोड़ रहा है तो जाली नोट का संकेत है.
देश में नमक की कोई कमी नहीं. सोशल मीडिया पर गलत तस्वीरें डाली जा रही हैं. लोग अफवाहों पर ध्यान ना दें.
कर्मचारियों की हड़ताल की बात झूठी.
सरकारी अस्पताल पुराने नोट लेंगे.
शादी में शगुन के लिए चेक का इस्तेमाल करें.
धार्मिक स्थानों से अपील है कि वो चढ़ावे के तौर पर चढ़ने वाले छोटे नोटों को तत्काल बैंकों में जमा कराएं ताकि करेंसी की मात्रा बढ़े.
देश में नकदी की कोई कमी नहीं. ब्रांच पोस्ट ऑफिसों और जिला सहकारी बैंकों में नकदी की उपलब्धता भी बढ़ाई गई है.
नोट बदलने बैंक पहुंचीं हीराबेन, कांग्रेस बोली- पीएम ने मां को भी लाइन में लगा दिया update @ 2:40
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मंगलवार को नोट बदलवाने के लिए बैंक पहुंची। गुजरात के गांधीनगर के ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में वह करीब 4500 रुपए जमा कराने पहुंची। उन्होंने बकायदा लाइन में लगकर नोट बदलवाएं। इस दौरान बैंक में सीनियर सिटिजन को मिलने वाली सुविधा दी गई। बताते चलें कि हीराबेन की उम्र 97 साल है और उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होती है।
अगर आपके पास भी ज्यादा गहने और संपत्ति, तो जरूर पढ़िए ये खबर
500 और 1000 का नोट बंद होने के बाद से हर तरफ एक ही चर्चा हो रही है कि लोग अपना काले धन को ठिकाने कैसे लगा रहे हैं। संपत्ति और सोना खरीदकर काला धन ठिकाने लगाने वालों पर एक मैसेज वायरल हो रहा है दावा है कि ना संपत्ति उन्हें बचा पाएगी और ना सोना। आगे पढ़िए
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में के जरिए दावा कुछ ऐसा है कि अब आप 2 से ज्यादा प्रॉपर्टी नहीं रख पाएंगे, मतलब अगर आपके पास तीन प्रॉपर्टी है तो आप मुश्किल में पड़ने वाले हैं। 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद से बिल्कुल नया मैसेज लोगों को बेचैन कर रहा है। ये मैसेज चेतावनी दे रहा है और डरा रहा है।
– अगर आपके पास एक शहर या जिले में 2 मकान या प्लॉट हैं तो आप कोई 2 ही रख सकते हैं। 2 रजिस्ट्री ही मान्य होगी। दोनों में बिजली कनेक्शन लेना जरूरी होगा। 2 से ज्यादा बिजली कनेक्शन नहीं मिलेगा औऱ अब 2 से ज्यादा प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री भी नहीं होगी। अगर दो नंबर प्रॉपर्टी खरीदी है तो सावधान। आगे से एक नंबर का काम करें। मकान या प्लॉट अगर दो से ज्यादा हो तो आज ही जरूरतमंद को बेचे दें।
– चेतावनी सिर्फ प्रॉपर्टी वालों के लिए नहीं है जो लोग सोना खरीद रहे हैं उनके लिए भी हैं। दावा है कि भारत सरकार सोना खरीदने और रखने वालों के लिए नया कानून ले आई है।
– अगर आपके पास गहने या सोने के बिस्किट हैं या किसी दूसरे रूप में सोना है तो 25 नवंबर से सोना खरीदने एवं रखने वालों के लिए सोने का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। 25 नवंबर से 31 दिसंबर तक रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हैं। 3
– लाख तक के गहने पर रजिस्ट्रेशन फ्री होगा और इससे ज्यादा के गहनों पर टैक्स लगेगा। और अगर इसके बाद कोई व्यक्ति बिना रजिस्ट्रेशन वाला सोना रखता है तो वो सरकारी खजाने में जब्त कर लिया जाएगा और जुर्माना भी वसूला जाएगा।
दावे कई सारे हैं और चौंकाने वाले हैं लेकिन सवाल ये है कि ये दावे कितने सच्चे हैं। सबसे पहले बात करते हैं 2 से ज्यादा घर की रजिस्ट्री ना होने वाले दावे की। दरअसल 2 से ज्यादा घर ना होने की चेतावनी देने वाला ये मैसेज बेनामी संपत्ति के मुद्दे से जुड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि अगला निशाना बेनामी संपत्ति रखने वालों पर होगा।
बेनामी संपत्ति यानि वो लोग जिन्होंने अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी है और इस पैसे के बारे में आयकर विभाग को कोई जानकारी नहीं है। बेनामी एक्ट एक नवंबर से लागू हो चुका है जो तमाम बेनामी लेन-देन पर रोक लगाएगा।
इसमें सात साल की सजा का प्रावधान है और इस काम में साथ देने वालों को जुर्माना भरना पड़ेगा। इस एक्ट में वो प्रॉप्रटी बेनामी मानी जाएगी जो किसी के नाम पर हो लेकिन उसके लिए पैसे किसी दूसरे ने भरे हों।
नोएडा में विक्ट्री वन ग्रुप के निदेशक सुधीर अग्रवाल ने हमें बताया कि पैसा अगर सफेद यानि आपकी मेहनत का है तो आप उससे एक या दस मकान खरीद सकते हैं डरे वों तो जिन्होंने बेनाम संपत्ति बनाई है। प्रॉपर्टी के मैसेज का पेंच तो खुल गया।
ये एसोसिएशन देश भर के ज्वेलर्स की सबसे बड़ी संस्था है। उन्होंने हमें बताया ऐसा कोई नियम नहीं है गृहिणी कितना भी सोना रखें कोई दिक्कत नहीं लेकिन उसका बिल होना चाहिए।
इसलिए हमारी पड़ताल में प्रॉपर्टी और सोने की खरीद के रजिस्ट्रेशन को लेकर किए जा रहे दोनों ही दावे झूठे साबित हुए हैं।
गहनों के रजिस्ट्रेशन वाले दावे की। दावे का सच जानने के लिए हमने बुलियन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष एस के गोयल से बात की।
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में के जरिए दावा कुछ ऐसा है कि अब आप 2 से ज्यादा प्रॉपर्टी नहीं रख पाएंगे, मतलब अगर आपके पास तीन प्रॉपर्टी है तो आप मुश्किल में पड़ने वाले हैं। 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद से बिल्कुल नया मैसेज लोगों को बेचैन कर रहा है। ये मैसेज चेतावनी दे रहा है और डरा रहा है।
– अगर आपके पास एक शहर या जिले में 2 मकान या प्लॉट हैं तो आप कोई 2 ही रख सकते हैं। 2 रजिस्ट्री ही मान्य होगी। दोनों में बिजली कनेक्शन लेना जरूरी होगा। 2 से ज्यादा बिजली कनेक्शन नहीं मिलेगा औऱ अब 2 से ज्यादा प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री भी नहीं होगी। अगर दो नंबर प्रॉपर्टी खरीदी है तो सावधान। आगे से एक नंबर का काम करें। मकान या प्लॉट अगर दो से ज्यादा हो तो आज ही जरूरतमंद को बेचे दें।
– चेतावनी सिर्फ प्रॉपर्टी वालों के लिए नहीं है जो लोग सोना खरीद रहे हैं उनके लिए भी हैं। दावा है कि भारत सरकार सोना खरीदने और रखने वालों के लिए नया कानून ले आई है।
– अगर आपके पास गहने या सोने के बिस्किट हैं या किसी दूसरे रूप में सोना है तो 25 नवंबर से सोना खरीदने एवं रखने वालों के लिए सोने का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। 25 नवंबर से 31 दिसंबर तक रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हैं। 3
– लाख तक के गहने पर रजिस्ट्रेशन फ्री होगा और इससे ज्यादा के गहनों पर टैक्स लगेगा। और अगर इसके बाद कोई व्यक्ति बिना रजिस्ट्रेशन वाला सोना रखता है तो वो सरकारी खजाने में जब्त कर लिया जाएगा और जुर्माना भी वसूला जाएगा।
दावे कई सारे हैं और चौंकाने वाले हैं लेकिन सवाल ये है कि ये दावे कितने सच्चे हैं। सबसे पहले बात करते हैं 2 से ज्यादा घर की रजिस्ट्री ना होने वाले दावे की। दरअसल 2 से ज्यादा घर ना होने की चेतावनी देने वाला ये मैसेज बेनामी संपत्ति के मुद्दे से जुड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि अगला निशाना बेनामी संपत्ति रखने वालों पर होगा।
बेनामी संपत्ति यानि वो लोग जिन्होंने अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी है और इस पैसे के बारे में आयकर विभाग को कोई जानकारी नहीं है। बेनामी एक्ट एक नवंबर से लागू हो चुका है जो तमाम बेनामी लेन-देन पर रोक लगाएगा।
इसमें सात साल की सजा का प्रावधान है और इस काम में साथ देने वालों को जुर्माना भरना पड़ेगा। इस एक्ट में वो प्रॉप्रटी बेनामी मानी जाएगी जो किसी के नाम पर हो लेकिन उसके लिए पैसे किसी दूसरे ने भरे हों।
नोएडा में विक्ट्री वन ग्रुप के निदेशक सुधीर अग्रवाल ने हमें बताया कि पैसा अगर सफेद यानि आपकी मेहनत का है तो आप उससे एक या दस मकान खरीद सकते हैं डरे वों तो जिन्होंने बेनाम संपत्ति बनाई है। प्रॉपर्टी के मैसेज का पेंच तो खुल गया।
ये एसोसिएशन देश भर के ज्वेलर्स की सबसे बड़ी संस्था है। उन्होंने हमें बताया ऐसा कोई नियम नहीं है गृहिणी कितना भी सोना रखें कोई दिक्कत नहीं लेकिन उसका बिल होना चाहिए।
इसलिए हमारी पड़ताल में प्रॉपर्टी और सोने की खरीद के रजिस्ट्रेशन को लेकर किए जा रहे दोनों ही दावे झूठे साबित हुए हैं।
गहनों के रजिस्ट्रेशन वाले दावे की। दावे का सच जानने के लिए हमने बुलियन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष एस के गोयल से बात की।
on Monday, 14 November 2016
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मोदी के फैसले से नाखुश पूर्व गवर्नर राजन, नोटबंदी पर दिया यह बड़ा बयान
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोट बंद करने की घोषणा की। पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में बताया कि जिन लोगों के पास 500 और 1000 के नोट हैं वो उन्हें बैंकों और डाकघरों में 30 दिसंबर तक बदल सकते हैं।
नोटबंदी के बाद आम लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। विपक्षी पार्टियों, आर्थिक जानकारों सहित सोशल मीडिया पर बहुत से आम लोग भी पीएम मोदी के फैसले की अालोचना कर रहे हैं। इन अालोचना करने वालों में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी शामिल हैं। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार रघुराम राजन विमुद्रीकरण के पक्ष में नहीं थे लेकिन पीएम मोदी को कुछ अन्य वरिष्ठ नौकरशाहों का समर्थन हासिल था जिसकी वजह से उन्होंने ये बड़ा फैसला ले लिया।
राजन इससे पहले भी विमुद्रीकरण को लेकर अपनी आशंकाएं सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर चुके हैं। साल 2014 में उन्होंने इस पर अपनी राय रखते हुए कहा था, “चालाक लोग इससे बचने का रास्ता निकाल लेंगे।” राजन के अनुसार इससे बचने का एक तरीका ये हो सकता है कि जिन लोगों ने बड़े नोट इकट्ठे कर रखे हैं वो उन्हें छोटे नोटों में बदल लें जिससे उन्हें बदलना आसान हो जाएगा। राजन मानते हैं कि विमुद्रीकरण किए जाने पर कालाधन रखने वाले बड़े नोटों से सोना खरीद सकते हैं जिसे पकड़ना और मुश्किल हो जाएगा।
अमरीका में 39% तक लगता है कर
राजन के अनुसार सरकार को विमुद्रीकरण के बजाय भारतीय कर व्यवस्था को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। राजन ने बताया कि “अमरीका में अधिक आय वालों पर 39 प्रतिशत तक कर लगता है, इसके अलावा वहां के राज्य भी अलग से टैक्स लगाते हैं। जबकि भारत में ये दर अधिकतम 33 प्रतिशत है।” राजन ने कहा था, “हमारे यहां टैक्स कई औद्योगिक देशों से कम है।”
कालेधन वालों पर राजन ने कहा
कालाधन जमा करने वालों पर बोलते हुए राजन ने कहा था, “मैं लेन-देन पर ज्यादा निगरानी रखने और जहां लोग अपनी आय घोषित नहीं कर रहे हैं वहां बेहतर कर प्रबंधन पर जोर देता है। मेरे ख्याल से आधुनिक अर्थव्यवस्था में पैसे छिपाना आसान नहीं है।” कालेधन पर रोक लगाने का कौन सा उपाय सही है ये तो विशेषज्ञ जानें लेकिन इतना तो साफ है कि पीएम मोदी और राजन के बीच इसको लेकर भी गहरे मतभेद थे। मीडिया में खबरों के अनुसार नरेंद्र मोदी ने रघुराम राजन को गवर्नर के रूप में सेवा विस्तार नहीं दिया था। राजन ने साफ कहा था कि उन्हें अपना काम पूरा करने के लिए एक साल का समय और चाहिए लेकिन मोदी सरकार ने उनकी जगह उनके डिप्टी उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नया गवर्नर बना दिया था।
नोटबंदी के बाद आम लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। विपक्षी पार्टियों, आर्थिक जानकारों सहित सोशल मीडिया पर बहुत से आम लोग भी पीएम मोदी के फैसले की अालोचना कर रहे हैं। इन अालोचना करने वालों में भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी शामिल हैं। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार रघुराम राजन विमुद्रीकरण के पक्ष में नहीं थे लेकिन पीएम मोदी को कुछ अन्य वरिष्ठ नौकरशाहों का समर्थन हासिल था जिसकी वजह से उन्होंने ये बड़ा फैसला ले लिया।
राजन इससे पहले भी विमुद्रीकरण को लेकर अपनी आशंकाएं सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर चुके हैं। साल 2014 में उन्होंने इस पर अपनी राय रखते हुए कहा था, “चालाक लोग इससे बचने का रास्ता निकाल लेंगे।” राजन के अनुसार इससे बचने का एक तरीका ये हो सकता है कि जिन लोगों ने बड़े नोट इकट्ठे कर रखे हैं वो उन्हें छोटे नोटों में बदल लें जिससे उन्हें बदलना आसान हो जाएगा। राजन मानते हैं कि विमुद्रीकरण किए जाने पर कालाधन रखने वाले बड़े नोटों से सोना खरीद सकते हैं जिसे पकड़ना और मुश्किल हो जाएगा।
अमरीका में 39% तक लगता है कर
राजन के अनुसार सरकार को विमुद्रीकरण के बजाय भारतीय कर व्यवस्था को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए। राजन ने बताया कि “अमरीका में अधिक आय वालों पर 39 प्रतिशत तक कर लगता है, इसके अलावा वहां के राज्य भी अलग से टैक्स लगाते हैं। जबकि भारत में ये दर अधिकतम 33 प्रतिशत है।” राजन ने कहा था, “हमारे यहां टैक्स कई औद्योगिक देशों से कम है।”
कालेधन वालों पर राजन ने कहा
कालाधन जमा करने वालों पर बोलते हुए राजन ने कहा था, “मैं लेन-देन पर ज्यादा निगरानी रखने और जहां लोग अपनी आय घोषित नहीं कर रहे हैं वहां बेहतर कर प्रबंधन पर जोर देता है। मेरे ख्याल से आधुनिक अर्थव्यवस्था में पैसे छिपाना आसान नहीं है।” कालेधन पर रोक लगाने का कौन सा उपाय सही है ये तो विशेषज्ञ जानें लेकिन इतना तो साफ है कि पीएम मोदी और राजन के बीच इसको लेकर भी गहरे मतभेद थे। मीडिया में खबरों के अनुसार नरेंद्र मोदी ने रघुराम राजन को गवर्नर के रूप में सेवा विस्तार नहीं दिया था। राजन ने साफ कहा था कि उन्हें अपना काम पूरा करने के लिए एक साल का समय और चाहिए लेकिन मोदी सरकार ने उनकी जगह उनके डिप्टी उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नया गवर्नर बना दिया था।
सरकार को घेरने वाले अरविन्द केजरीवाल खुद हो गये Twitter पर
1000 और 500 के नोट को बंद करने के फैसले को लेकर तमाम परेशानियां उठाने के बावजूद लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे नेता भी हैं, जो इसे एक स्टंट बता कर प्रधानमन्त्री को घेरने की तैयारी भी कर रहे हैं. घेरने वाले इस नेताओं की लिस्ट में सबसे ऊपर हैं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल. जो फेसबुक से लेकर ट्विटर तक उन्हें किसी न किसी तरह से निशाना बना रहे हैं. जिसे लेकर ट्विटर के कई यूज़र, अरविन्द केजरीवाल का अच्छाखासा ट्रोल बना रहे हैं. ऐसे ही एक ट्विटर यूजर हैं तारेक फतह, जिनके ट्वीट को देख कर शायद अरविन्द केजरीवाल खुद भी पानी-पानी हो जायें.
क्या आ गए ? नोटबंदी के फैसले पर पीएम से लालू का सवाल, 50 दिनों बाद सबके खातों में 15-15 लाख आ जाएँगे क्या
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नोट बंदी को लेकर राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा की हम काले धन के विरुद्ध हैं पर आपके इस तरह के फैसले का असर दिख रहा है आम आदमी की सहूलियत का ख्याल रखना चाहिए था आप को।
लालू ने नोट बंदी के फैसले पर ट्वीट करके पूछा है की “मोदीजी आप 50 दिनों की सीमित असुविधा की बात कर रहे हैं, तो क्या समझा जाए कि आपके वादानुसार 50 दिनों बाद सबके खातों में 15-15 लाख आ जाएँगे” आगे उन्होंने चुटकी लेते हुये ट्वीट किया “अगर ये सब करने के बाद भी लोगों को 15 लाख नही मिले तो इसका मतलब होगा कि यह “फर्जिकल स्ट्राइक” था। और इसके साथ ही आम जनता का “फेक-एनकाउंटर” भी हो गया।”
लालू ने नोट बंदी के फैसले पर ट्वीट करके पूछा है की “मोदीजी आप 50 दिनों की सीमित असुविधा की बात कर रहे हैं, तो क्या समझा जाए कि आपके वादानुसार 50 दिनों बाद सबके खातों में 15-15 लाख आ जाएँगे” आगे उन्होंने चुटकी लेते हुये ट्वीट किया “अगर ये सब करने के बाद भी लोगों को 15 लाख नही मिले तो इसका मतलब होगा कि यह “फर्जिकल स्ट्राइक” था। और इसके साथ ही आम जनता का “फेक-एनकाउंटर” भी हो गया।”
जीत के बाद पहली बार मुस्लिमों पर ट्रंप ने दिया इतना बड़ा बयान
नई दिल्ली ( 14 नवंबर ) :अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के बाद मुस्लिमों, अफ्रीकी अमेरिकियों और लातिनों के उत्पीड़न पर पहली बार बात की। इन समुदाय के लोगों पर उत्पीड़न से दुखी डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार सार्वजनिक रूप से लोगों से इसे रोकने के लिए कहा।
अमेरिकी एक न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, मैं यह सुनकर बहुत दुखी हूं और मैं इसे रोकने के लिए कहता हूं। इसे रोकें।
वह हाल के दिनों में मुस्लिमों, हिस्पैनिक अमेरिकियों, अश्वेत लोगों, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे कथित घृणा अपराधों को लेकर पूछे गए एक सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे।
ट्रंप से पूछा गया कि क्या आप उन लोगों से कुछ कहना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि ऐसा न करें। यह भयानक है। मैं इस देश को एकजुट करने जा रहा हूं। राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए ट्रंप ने कहा कि समाज के कुछ वर्ग उन्हें लेकर डरे हुए हैं और इसकी वजह यह है कि ये लोग उन्हें ठीक से नहीं जानते हैं। ट्रंप ने उन लोगों से कहा कि वे डरें नहीं।
उनसे पूछा गया कि लोगों के प्रदर्शन को लेकर आपको क्या लगता है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कुछ मामलों में, प्रदर्शनकारी पेशेवर होते हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर हिलेरी जीतीं होतीं और मेरे लोग बाहर प्रदर्शन करते तो हर कोई कहता कि ओह, यह खराब चीज है। यह बहुत अलग दृष्टिकोण होता। आप जानते हैं कि यहां दोहरा मानक है।
अमेरिकी एक न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, मैं यह सुनकर बहुत दुखी हूं और मैं इसे रोकने के लिए कहता हूं। इसे रोकें।
वह हाल के दिनों में मुस्लिमों, हिस्पैनिक अमेरिकियों, अश्वेत लोगों, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे कथित घृणा अपराधों को लेकर पूछे गए एक सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे।
ट्रंप से पूछा गया कि क्या आप उन लोगों से कुछ कहना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि ऐसा न करें। यह भयानक है। मैं इस देश को एकजुट करने जा रहा हूं। राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए ट्रंप ने कहा कि समाज के कुछ वर्ग उन्हें लेकर डरे हुए हैं और इसकी वजह यह है कि ये लोग उन्हें ठीक से नहीं जानते हैं। ट्रंप ने उन लोगों से कहा कि वे डरें नहीं।
उनसे पूछा गया कि लोगों के प्रदर्शन को लेकर आपको क्या लगता है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कुछ मामलों में, प्रदर्शनकारी पेशेवर होते हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर हिलेरी जीतीं होतीं और मेरे लोग बाहर प्रदर्शन करते तो हर कोई कहता कि ओह, यह खराब चीज है। यह बहुत अलग दृष्टिकोण होता। आप जानते हैं कि यहां दोहरा मानक है।
भारत के अगले राष्ट्रपति का नाम तय, ये लेंगे प्रणब मुखर्जी की जगह...
भारत के अगले राष्ट्रपति का नाम तय, ये लेंगे प्रणब मुखर्जी की जगह नई दिल्ली, मिडनाइट एक्सप्रेस से साभार : अमेंरिका में राष्ट्रपति चुनाव खत्म हो गए हैं। वहां के बाद अब निगाहें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति के चुनाव पर लग गई हैं। वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है। उनके बाद कौन होगा देश का अगला राष्ट्रपति इसको लेकर अलग अलग राजनीतिक दलों में सुगबुगाहट शुरू हो गई है। केंद्र की मोदी सरकार ने इस मुद्दे पुर अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं।
दरअसल राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा में आंकड़ों का खेल बेहद अहम हो जाता है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि कौन हो सकता है देश का अगला राष्ट्रपति, जिस नेता की हम बात कर रहे हैं उन्हे कभी लौहपुरुष कहा जाता था। वो केंद्र की सरकार में गृहमंत्री भी रह चुके हैं। नहीं समझे। चलिए आपको बता दी देते हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी देश के अगले राष्ट्रपति हो सकते हैं। बीजेपी ने उनको राष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए का उम्मीदवार बनाने का फैसला लगभग कर लिया है। आडवाणी फिलहाल सक्रिय राजनीति से दूर हैं। आडवाणी को राष्ट्रपति बनाकर बीजेपी उन्हे सम्मानजनक तरीके से राजनीति से रुखसत करना चाहती है। लाल कृष्ण आडवाणी के रूप में पीएम मोदी ने एक बार फिर से मास्टर स्ट्रोक चला है। दरअसल आडवाणी के राष्ट्रपति बनने से मोदी को कई फायदे होंगे। पहला तो ये कि भारतीय राजनीति में मोदी का दबदबा और बढ़ेगा।दूसरा ये कि आडवाणी को राष्ट्रपति बनाए जाने से बीजेपी में मोदी विरोधी खेमा लगभग खत्म हो जाएगा। बता दें कि आडवाणी को मोदी विरोधी माना जता है। आडवाणी खुद पीएम बनने का सपना संजोए हुए थे, लेकिन मोदी के कारण उनका सपना हकीकत की रोशनी नहीं देख पाया। अब आपको बताते हैं कि आडवाणी क्यों भारत के अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं। दरअसल आडवाणी आज राजनीति के जिस मुकाम पर हैं वहां उनका विरोध करने वाले काफी कम हैं। आडवाणी की राजनीतिक स्वीकार्यता से कोई इंकार नहीं कर सकता है। राष्ट्रपति के चुनाव के लिए लोकसभा में तो बीजेपी के पास बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आडवाणी को आगे करके मोदी ने मास्टरस्ट्रोक चला है। आडवाणी को मार्गदर्शक मंडल में डालने के बीजेपी के फैसले को कांग्रेस ने आडवाणी के साथ नाइंसाफी बताया था। ऐसे में अब वो आडवाणी का विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वैसे भी कांग्रेस के पास मोदी को रोकने का संख्याबल नहीं है। बाकी दलों को साधने में कोई दिक्कत नहीं होने वाली है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि लाल कृष्ण आडवाणी देश के अगले राष्ट्रपति बनने की राह पर चल पड़े हैं।
दरअसल राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा में आंकड़ों का खेल बेहद अहम हो जाता है। सबसे पहले आपको बताते हैं कि कौन हो सकता है देश का अगला राष्ट्रपति, जिस नेता की हम बात कर रहे हैं उन्हे कभी लौहपुरुष कहा जाता था। वो केंद्र की सरकार में गृहमंत्री भी रह चुके हैं। नहीं समझे। चलिए आपको बता दी देते हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी देश के अगले राष्ट्रपति हो सकते हैं। बीजेपी ने उनको राष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए का उम्मीदवार बनाने का फैसला लगभग कर लिया है। आडवाणी फिलहाल सक्रिय राजनीति से दूर हैं। आडवाणी को राष्ट्रपति बनाकर बीजेपी उन्हे सम्मानजनक तरीके से राजनीति से रुखसत करना चाहती है। लाल कृष्ण आडवाणी के रूप में पीएम मोदी ने एक बार फिर से मास्टर स्ट्रोक चला है। दरअसल आडवाणी के राष्ट्रपति बनने से मोदी को कई फायदे होंगे। पहला तो ये कि भारतीय राजनीति में मोदी का दबदबा और बढ़ेगा।दूसरा ये कि आडवाणी को राष्ट्रपति बनाए जाने से बीजेपी में मोदी विरोधी खेमा लगभग खत्म हो जाएगा। बता दें कि आडवाणी को मोदी विरोधी माना जता है। आडवाणी खुद पीएम बनने का सपना संजोए हुए थे, लेकिन मोदी के कारण उनका सपना हकीकत की रोशनी नहीं देख पाया। अब आपको बताते हैं कि आडवाणी क्यों भारत के अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं। दरअसल आडवाणी आज राजनीति के जिस मुकाम पर हैं वहां उनका विरोध करने वाले काफी कम हैं। आडवाणी की राजनीतिक स्वीकार्यता से कोई इंकार नहीं कर सकता है। राष्ट्रपति के चुनाव के लिए लोकसभा में तो बीजेपी के पास बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आडवाणी को आगे करके मोदी ने मास्टरस्ट्रोक चला है। आडवाणी को मार्गदर्शक मंडल में डालने के बीजेपी के फैसले को कांग्रेस ने आडवाणी के साथ नाइंसाफी बताया था। ऐसे में अब वो आडवाणी का विरोध करने की स्थिति में नहीं है। वैसे भी कांग्रेस के पास मोदी को रोकने का संख्याबल नहीं है। बाकी दलों को साधने में कोई दिक्कत नहीं होने वाली है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि लाल कृष्ण आडवाणी देश के अगले राष्ट्रपति बनने की राह पर चल पड़े हैं।
on Sunday, 13 November 2016
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कई घंटों तक ATM लाइन में लगने के बाद नहीं मिले पैसे तो युवती ने गुस्से में उतार दिए अपने कपड़े
नई दिल्ली। मयूर विहार फेज-3 में एटीएम लाइन में लगी एक युवती गुस्से में अपना कपड़ा उतार दिया। युवती काफी लम्बे समय से इंतजार कर रही थी। लम्बी लाइन होने की वजह से वो काफी थक गई तो उसने विरोध स्वरूप गुस्से में आकर अपना टॉप उतार दिया। युवती ने जिस प्रकार से सरकार और उसके नोटबंदी का विरोध किया उस लोग भौचक रह गए।
घटना के तुरंत बाद पुलिस आ गई। पुलिस द्वारा युवती को गाजीपुर थाना ले जाया गया जहां उसे काफी समझा-बुझा गया और दोबारा उसे एटीएम ले जाकर उसे पैसे दिलाए गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने मीडिया को बताया कि युवती काफी देर से खड़ी थी और अचानक से उसने अपना कपड़ा उतार दिया। कुछ ही दूरी पर मौजूद लेडी पुलिस मौके पर पहुंची और उसने युवती को कपड़े पहनाए। उसके बाद उसे गाजीपुर थाने ले जाया गया। बाद में उसे एक्सिस बैंक के एटीएम ले जाकर पैसे दिलवाए गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार घटनास्थल पर मौजूद लोगों का कहना था कि कई घंटे लाइन में लगने के बाद भी पैसे नहीं मिल रहे हैं। आज रविवार का पूरा दिन लाइन में लगे-लगे बीत गया। दिल्ली में एटीएम पर लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। देशभर से आ रही खबरों के मुताबिक, रुपये निकालने के लिए लोग बैंक एटीएम और डाकघरों में लाइनों में लगे हैं।
घटना के तुरंत बाद पुलिस आ गई। पुलिस द्वारा युवती को गाजीपुर थाना ले जाया गया जहां उसे काफी समझा-बुझा गया और दोबारा उसे एटीएम ले जाकर उसे पैसे दिलाए गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने मीडिया को बताया कि युवती काफी देर से खड़ी थी और अचानक से उसने अपना कपड़ा उतार दिया। कुछ ही दूरी पर मौजूद लेडी पुलिस मौके पर पहुंची और उसने युवती को कपड़े पहनाए। उसके बाद उसे गाजीपुर थाने ले जाया गया। बाद में उसे एक्सिस बैंक के एटीएम ले जाकर पैसे दिलवाए गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार घटनास्थल पर मौजूद लोगों का कहना था कि कई घंटे लाइन में लगने के बाद भी पैसे नहीं मिल रहे हैं। आज रविवार का पूरा दिन लाइन में लगे-लगे बीत गया। दिल्ली में एटीएम पर लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। देशभर से आ रही खबरों के मुताबिक, रुपये निकालने के लिए लोग बैंक एटीएम और डाकघरों में लाइनों में लगे हैं।
नोट बदलने पहुंची लड़की तो भीड़ ने उसकी जिंदगी ही बदल दी
गुना। कालापाठा क्षेत्र की कुछ महिलाएं भारतीय स्टेट बैंक में शनिवार दोपहर जब अपने पुराने 500 और 1000 के नोट बदलने पहुंचीं, तो बैंक में उन्हें अपने साथ ठगी करने वाली युवती भी लाइन में लगी नजर आ गई। बस फिर क्या था उक्त महिलाओं ने तुरंत 100 नंबर पर पुलिस को सूचना देकर मौके पर बुला लिया और उक्त युवती को पकड़कर कैंट थाने ले आईं।
एसआई बबीता कटारिया ने बताया कि कालापाठा क्षेत्र की करीब 11 महिलाओं ने उक्त युवती पर आरोप लगाया है कि एक वर्ष पहले युवती और उसके इंदौर निवासी साथियों ने स्वसहायता समूह के नाम पर 1300-1300 रुपए लेकर 25 हजार रुपए लोन देने की बात कही थी। इसके बाद उक्त कंपनी के कर्मचारी रुपए लेकर भाग गए और जो चेक हमें दिए थे, वह बैंक में बाउंस हो गए।
महिलाओं ने बताया कि उक्त युवती भी तब से ही गायब थी। महिलाओं ने तब इस मामले की लिखित शिकायत भी कैंट पुलिस को की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। पुलिस ने बताया कि इस मामले में युवती का कहना है कि वह तो इंदौर की उक्त कंपनी में 7 हजार रुपए की वेतन पर काम करती थी। युवती गुना में ही निवास करती है। शनिवार को पुराने नोट बदलने बैंक पहुंची, तो उक्त महिलाओं ने पकड़ लिया। बहरहाल मामले की जांच में कैंट पुलिस जुट गई है।
एसआई बबीता कटारिया ने बताया कि कालापाठा क्षेत्र की करीब 11 महिलाओं ने उक्त युवती पर आरोप लगाया है कि एक वर्ष पहले युवती और उसके इंदौर निवासी साथियों ने स्वसहायता समूह के नाम पर 1300-1300 रुपए लेकर 25 हजार रुपए लोन देने की बात कही थी। इसके बाद उक्त कंपनी के कर्मचारी रुपए लेकर भाग गए और जो चेक हमें दिए थे, वह बैंक में बाउंस हो गए।
महिलाओं ने बताया कि उक्त युवती भी तब से ही गायब थी। महिलाओं ने तब इस मामले की लिखित शिकायत भी कैंट पुलिस को की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। पुलिस ने बताया कि इस मामले में युवती का कहना है कि वह तो इंदौर की उक्त कंपनी में 7 हजार रुपए की वेतन पर काम करती थी। युवती गुना में ही निवास करती है। शनिवार को पुराने नोट बदलने बैंक पहुंची, तो उक्त महिलाओं ने पकड़ लिया। बहरहाल मामले की जांच में कैंट पुलिस जुट गई है।
केजरीवाल ने कहा नोटों का फैसला वापस ले मोदी
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने नोटबंदी के फैसले पर रविवार शाम को प्रेस वार्ता की। अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि लोग भूखे मर रहे हैं। देशभर में इमरजेंसी जैसे हालात बन रहे हैं। प्रधानमंत्री को देश से माफी मांगनी चाहिए।
केजरीवाल ने कहा, पीएम मोदी ने पहले 2 दिन बोला था अब 50 दिन के लिए बोल रहे हैं। जनता 50 घंटे भी नहीं रुक सकती। पीएम मोदी ने चुनाव के समय देश की जनता से स्विस बैंक से काला धन वापस लाने का बाद किया था, उसका क्या हुआ?। सरकार ने ब्लैकमनी के खिलाफ कार्रवाई करने का नाटक किया और नाटक से जनता का पेट नहीं भरता।
केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी अहंकार छोड़िए और नोटबंदी का फैसला वापस ले लीजिए। अगर सरकार चाहे तो इंतजाम पुख्ता कर नियम वापस से लागू कर दे। उन्होंने कहा कि इस फैसले से पूरे देश में पैनिक हो गया है। मोदी के भाषण पर बोलते हुए केजरीवाल ने कहा कि पीएम की भाषा सुनकर दुख हुआ। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को लाइन में खड़े होकर देखना चाहिए।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के पास कोई रोड मैप नहीं है। चुनाव से पहले अगर पीएम बता देते कि वे सरकार में आने के बाद 500 व 1000 के नोट बंद करेंगे तो लोग उन्हें वोट न देते। अरविंद केजरीवाल ने नकली करेंसी पर बोलते हुए कहा कि नकली नोट बनाने वाले वैसे ही बैठे हैं, उनपर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
पीएम मोदी का पलटवार: जब आपने चवन्नी बंद की थी तो मैंने पूछा था?
कर्नाटक : प्रधानमंत्री मोदी गोवा में देशवासियों को संबोधित करने के बाद कर्नाटक लिंगायत एजुकेशन सोसाइटी (केएलई) के शताब्दी समारोह में बेलगाम पहुंचे।
पीएम मोदी का कांग्रेस पर पलटवार
कर्नाटक के बेलगाम में मोदी ने समारोह में कहा,’राजनीतिक दल भी 100 साल नहीं चल पाते, परिवार भी नहीं बचते। कल्पना कर सकते हैं एक संस्था के 100 साल तक चलने की।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि वह चाहते हैं कि 2020 के ओलंपिक में केएलई देश के लिए कुछ गोल्ड मेडल जीते। मुझे लगता है आप कर सकते हैं।
मोदी ने दुनिया की 100 यूनिवर्सिटी में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी न होने पर भी चिंता जताई। पीएम मोदी ने 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर करने पर कहा,’सरकार ईमानदार लोगों को तकलीफ देना नहीं चाहती।’ उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा,’कांग्रेस के लोग कह रहे हैं 100 और 500 के नोट बंद क्यों किए। आपने जब चवन्नी बंद की थी तो मैंने पूछा था।’
पीएम मोदी का कांग्रेस पर पलटवार
कर्नाटक के बेलगाम में मोदी ने समारोह में कहा,’राजनीतिक दल भी 100 साल नहीं चल पाते, परिवार भी नहीं बचते। कल्पना कर सकते हैं एक संस्था के 100 साल तक चलने की।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि वह चाहते हैं कि 2020 के ओलंपिक में केएलई देश के लिए कुछ गोल्ड मेडल जीते। मुझे लगता है आप कर सकते हैं।
मोदी ने दुनिया की 100 यूनिवर्सिटी में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी न होने पर भी चिंता जताई। पीएम मोदी ने 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर करने पर कहा,’सरकार ईमानदार लोगों को तकलीफ देना नहीं चाहती।’ उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा,’कांग्रेस के लोग कह रहे हैं 100 और 500 के नोट बंद क्यों किए। आपने जब चवन्नी बंद की थी तो मैंने पूछा था।’
कश्मीरी मस्जिद में लाउड स्पीकर पर चले भारत विरोधी नारे; गुस्से में आकर फौजियों ने क्या किया?
भारतीय स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त से थोड़े ही दिन पहले कश्मीर में शुक्रवार की सुबह कुछ युवकों ने मस्जिद में लाउड स्पीकर पर कश्मीर की आज़ादी के गीत और नारे चलाने शुरू किये। जिसकी वजह से घुस्साए फौजियों ने जो किया, वो हर देशप्रेमी करता।
क्रोधित सेना के जवानों ने मस्जिद को घेर लिया और अन्दर घुसकर लाउडस्पीकरों, खिड़की के शीशों को तोड़ डाला और सबको वहां से बाहर घसीटा।
कम से कम 40 लोग अपनी इस घटिया हरकत के लिए, सेना के गुस्से का शिकार हुए। भारतीय सेना जवानों इतने घुस्से में थे कि अपना आप खो बैठे और उन युवकों की जम के पिटाई की। बताया जा रहा है की उनमें से एक युवक, जो मौके पर लीडर बनने की कोशश कर रहा था, को फौजियों ने पीट पीट कर पिल-पिला कर दिया! वो तो गांव के कुछ बड़े बुज़ुर्ग बचाव के लिए बीच में आ गए, और उन्हें सेना के कहर से बचा लिया।
घायलों को मनिगम के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के लिए ले जाया गया। लेकिन, सेना के कमांडिंग अधिकारी स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए और डॉक्टर और पैरा टीम को घायलों का उपचार करने के लिए भी धमकाया।
इस कांड में शामिल पुरुष महिलायें भारतीय सेना की इस ताड़ना के ही लायक थे। जो भारत की धरती पर रहते हैं, इस देश का नमक खाते हैं और फिर मस्जिद को साधन के रूप में प्रयोग कर, देश विरोधी नारे बजवा कर अपने आप को नायक सिद्ध करने की कोशिश करते हैं!
राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी कश्मीर की आज़ादी के लिए हिंसक विरोध प्रदर्शन किए गये, जिसमें की CRPF के जवान और कई पुलिसकर्मी घायल हुए।
कश्मीर की आज़ादी मांगने वाले ये देश-विरोधी शायद भूल गए हैं कि, भारत के इन जवानों ने इनकी रक्षा के लिए अपनी जानें गवाई हैं और आज भी इनकी रक्षा करने के लिए रात-दिन लगे रहते हैं।
on Saturday, 12 November 2016
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A comment?
Dekhia Is Chutiye Ko Kya Kaha aam admi party ne :-Modi Government's Demonetisation Move a 'Foolish Decision': AAP
New Delhi: The Aam Aadmi Party on Friday termed as "foolish decision" the Modi government's move to demonetise Rs 500/1000 notes and said BJP President Amit Shah was living in a "glass house" and was unaware of the "hardships" faced by the common man.
The party also asked Shah to "refresh" his memory on BJP's stand in 2014, when the then UPA government had planned to demonetise currency and his party was against it.
"Amit Shah, who is making wild claims about the ill- thought decision of his party's central government to withdraw Rs 1,000 and Rs 500 currency notes will do well to once again see his party's own stand of January 2014, about the same decision.
"Shah should have thought twice before attacking his political rivals, including AAP, since he is living in a glass house and is not aware of the ground realities of the common man facing unnecessary hardships as a result of the foolish decision of the central government," it said.
AAP Delhi convenor Dilip Pandey said the party would like to hold a mirror to Shah and refresh his memory by showing him what the BJP had said on the issue of demonetisation of currency in January 2014, when there were reports of the then UPA government trying to implement it.
It was shelved it and the reports were denied by the then RBI Governor Raghu Ram Rajan, he said.
AAP also quoted the January 23, 2014 statement of BJP leader and MP Meenakshi Lekhi in which she had said people with small savings, no bank accounts and their small life savings, will be targeted.
"The aam aurat and aadmis - those who are illiterate and have no access to the banking facilities will be the ones, hit by such diversionary measures...All the black money holders will legally convert their tender with no difficulty because they have the resources to hire people to sort their cash. This measure is strongly anti-poor," she had reportedly said.
Update at 9:35 am:- बसपा एक और बड़ा झटका शामली की कैराना सीट से बसपा प्रत्याशी अनवर हसन और उनके भाई मुजफ्फरनगर की बुढाना सीट से बसपा प्रत्याशी कँवर हसन ने बसपा छोड़ सपा में हुए शामिल
लखनऊ : बसपा एक और बड़ा झटका शामली की कैराना सीट से बसपा प्रत्याशी अनवर हसन और उनके भाई मुजफ्फरनगर की बुढाना सीट से बसपा प्रत्याशी कँवर हसन ने बसपा छोड़ सपा में हुए शामिल ओं सपा दोनों भाई में शामिल होने की घोषणा की है l
समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद कंवर हसन ने कहा कि मायावती पैर छुवाने का काम करती हैं नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मुझे इसके लिए कई बार मजबूर किया है हम सिर्फ अल्लाह के आगे सजदा करते हैं और किसी के सामने नहीं वहीं अनवर हसन ने कहा कि बसपा में मुसलमानों का सम्मान बलकुल नहीं है इसी लिए अब हम भी बसपा के साथ नहीं इस मौके पर दोनों भाइयों के पार्टी में शामिल होने के बाद सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि नोट बंदी से लोगों को परेशान करने की साजिश है इसके बाद नमक की अफवाह ने भी लोगों को काफी परेसानी का सामना करना पड़ा है बीजेपी वाले कुछ भी कर सकते हैं इससे पहले इन लोगों ने गणेश जी को दूध पिला दिया था उस समय भी भाजपा ने अफवाह उड़ाई थी ये अफवाह वाली पार्टी है मोदी की सरकार हर स्तर से फेल हो चुकी है तो इसी लिए अफवाह उड़ा रहे हैं।
समाजवादी पार्टी में शामिल होने के बाद कंवर हसन ने कहा कि मायावती पैर छुवाने का काम करती हैं नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने मुझे इसके लिए कई बार मजबूर किया है हम सिर्फ अल्लाह के आगे सजदा करते हैं और किसी के सामने नहीं वहीं अनवर हसन ने कहा कि बसपा में मुसलमानों का सम्मान बलकुल नहीं है इसी लिए अब हम भी बसपा के साथ नहीं इस मौके पर दोनों भाइयों के पार्टी में शामिल होने के बाद सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि नोट बंदी से लोगों को परेशान करने की साजिश है इसके बाद नमक की अफवाह ने भी लोगों को काफी परेसानी का सामना करना पड़ा है बीजेपी वाले कुछ भी कर सकते हैं इससे पहले इन लोगों ने गणेश जी को दूध पिला दिया था उस समय भी भाजपा ने अफवाह उड़ाई थी ये अफवाह वाली पार्टी है मोदी की सरकार हर स्तर से फेल हो चुकी है तो इसी लिए अफवाह उड़ा रहे हैं।
'आजम खान को जेल में डाल देंगे, उसके बाद यूपी की हर जेल में घुमाएंगे': MLA सुरेश राणा
मुजफ्फरनगर। 'हमें वोट दीजिए। अगर हम सरकार में आए तो सबसे पहले आजम खान को जेल में डाल देंगे। उसके बाद हम आजम खान को यूपी की हर जेल में घुमाएंगे ताकि उनको मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगों की सजा दी जा सके।' ये बोल यूपी में बीजेपी की परिवर्तन यात्रा का नेतृत्व कर रहे केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और स्थानीय विधायक सुरेश राणा के हैं। दोनों का नाम 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में आ चुका है।
2013 के दंगों के केंद्र बुढ़ाना से इन नेताओं की अगुआई में शुक्रवार को यात्रा शुरू हुई। बीजेपी का काफिला दंगों से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले इलाकों से होता हुआ मुजफ्फरनगर पहुंचा। पीएमओ में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह भी स्पेशल मेहमान बन कर इस रैली में पहुंचे थे। उन्होंने भीड़ से कहा, 'यूपी में ऐसी सरकार बनाओ जो मोदी जी के कहने पर चले। हमने तो पाकिस्तान को सबक सिखा दिया सर्जिकल स्ट्राइक से।'
एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार बालियान और राणा ने कहा कि वे केवल मुजफ्फरनगर के लिए सोचते हैं। राणा ने कहा, 'एक तरफ आपके सामने एसपी के आजम खान और बीएसपी के नसीमुद्दीन सिद्दकी हैं, वहीं दूसरी तरह आपके पास सुरेश राणा और संजीय बालियान हैं। आप किसे चुनेंगे?' इसके बाद राणा ने कहा, 'मेरे विधानसभा क्षेत्र में 40 प्रतिशत मुस्लिम हैं। फिर भी 10000 लोग हमारी यात्रा का स्वागत करने इकठ्ठा हुए थे। अजित सिंह के गढ़ में कोई यात्रा इतनी सफल नहीं हुई है। लेकिन बीजेपी की यात्रा को वहां बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। जाट हमारे साथ हैं।'
2013 के दंगों के केंद्र बुढ़ाना से इन नेताओं की अगुआई में शुक्रवार को यात्रा शुरू हुई। बीजेपी का काफिला दंगों से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले इलाकों से होता हुआ मुजफ्फरनगर पहुंचा। पीएमओ में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह भी स्पेशल मेहमान बन कर इस रैली में पहुंचे थे। उन्होंने भीड़ से कहा, 'यूपी में ऐसी सरकार बनाओ जो मोदी जी के कहने पर चले। हमने तो पाकिस्तान को सबक सिखा दिया सर्जिकल स्ट्राइक से।'
एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार बालियान और राणा ने कहा कि वे केवल मुजफ्फरनगर के लिए सोचते हैं। राणा ने कहा, 'एक तरफ आपके सामने एसपी के आजम खान और बीएसपी के नसीमुद्दीन सिद्दकी हैं, वहीं दूसरी तरह आपके पास सुरेश राणा और संजीय बालियान हैं। आप किसे चुनेंगे?' इसके बाद राणा ने कहा, 'मेरे विधानसभा क्षेत्र में 40 प्रतिशत मुस्लिम हैं। फिर भी 10000 लोग हमारी यात्रा का स्वागत करने इकठ्ठा हुए थे। अजित सिंह के गढ़ में कोई यात्रा इतनी सफल नहीं हुई है। लेकिन बीजेपी की यात्रा को वहां बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। जाट हमारे साथ हैं।'
NOTE बैन का सबसे बड़ा नुकसान खुद पीएम मोदी को
ऐसी खबरें हैं कि नौ नवंबर को जब से पीएम मोदी ने 500 और 1,000 के नोटों के चलन से बाहर होने का ऐलान किया तब से ट्विटर पर उन्हें तीन लाख लोग अनफॉलो कर चुके हैं।
पीएम मोदी के लिए तो यह नुकसान ही माना जाएगा क्योंकि पीएम मोदी को ट्विटर पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बाद सबसे पॉपुलर लीडर माना जाता है। ट्विटर पर उनके फॉलोअर्स की कमी कहीं न कहीं उनके इस कदम की आलोचना के तौर पर भी देखी जा रही है।
पीएम मोदी के लिए तो यह नुकसान ही माना जाएगा क्योंकि पीएम मोदी को ट्विटर पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बाद सबसे पॉपुलर लीडर माना जाता है। ट्विटर पर उनके फॉलोअर्स की कमी कहीं न कहीं उनके इस कदम की आलोचना के तौर पर भी देखी जा रही है।
देशभक्तों के लिए अच्छी खबर: 12वीं पास युवाओं के लिए इंडियन आर्मी में बंपर भर्ती
इंडियन आर्मी ने 10+2 के लिए रोजगार नोटिफिकेशन जारी किए हैं। इच्छुक उम्मीदवार मानकों के हिसाब से 7 दिसंबर तक अप्लाई कर सकते हैं।
कुल पद: 90
पद का नाम: 10+2 टेक्निकल इंट्री स्कीम कोर्स- 37
आयु सीमा:
इस पद के लिए अप्लाई करने वाले उम्मीदवार अधिकतम साढ़े 19 साल के होने चाहिए. रिजर्व कैटेगरी की उम्र सीमा के लिए नोटिफिकेशन देखें।
योग्यता:
किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं पास।
सैलेरी: 21,000 रुपये
चयन प्रक्रिया: फिजिकल टेस्ट, साक्षात्कार और ग्रुप टेस्ट
कुल पद: 90
पद का नाम: 10+2 टेक्निकल इंट्री स्कीम कोर्स- 37
आयु सीमा:
इस पद के लिए अप्लाई करने वाले उम्मीदवार अधिकतम साढ़े 19 साल के होने चाहिए. रिजर्व कैटेगरी की उम्र सीमा के लिए नोटिफिकेशन देखें।
योग्यता:
किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं पास।
सैलेरी: 21,000 रुपये
चयन प्रक्रिया: फिजिकल टेस्ट, साक्षात्कार और ग्रुप टेस्ट
खुलासा : नोट बैन के बाद अब ये दो चीजें हैं मोदी का निशाना
टीकमगढ़| प्रधानमंत्री ने नोट बैन के बाद जब से कुछ अन्य बड़ी कार्रवाइयों का संकेत दिया है तब से अफवाहों का बाज़ार गर्म है| लेकिन केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने साफ़ किया है कि पीएम मोदी का अगला निशाना क्या होगा| उमा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगली कार्रवाई स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में होगी।
गृह नगर पहुंचीं उमा भारती ने संवाददाताओं से कहा, “इस समय देश की स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा का बुरा हाल है, कालेधन के खिलाफ शुरू हुई मुहिम से आने वाली रकम का उपयोग इन क्षेत्रों में होगा। मुझे तो लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगली कार्रवाई स्वास्थ्य और शिक्षा पर ही होगी।”
देश में 500-1,000 के नोट पर पाबंदी लगाए जाने के फैसले को अच्छा कदम बताते हुए उमा ने कहा, “इस फैसले से जनता को सिर्फ चार-पांच दिन असुविधा झेलना पड़ेगी, मगर इस कार्रवाई से जो कालाधन सामने आएगा, उससे अस्पताल बनेंगे, स्कूल बनेंगे।”
उमा भारती ने मोदी को ‘चांद’ और विपक्ष के नेताओं को ‘जुगनू’ करार दिया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री पर लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “विपक्ष के नेताओं को अब कुछ न कुछ करना होगा, क्योंकि मोदी इनके सामने काफी बड़े हो गए हैं, मोदी हो गए हैं चांद के जैसे और वे हैं जुगनू के समान, जब जुगनू टिमटिमाएगी तब तो दिखेगी।”
बड़े नोटों को अमान्य किए जाने के फैसले के विरोध पर उमा ने कहा, “इस फैसले से अगर किसी को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है तो वह है समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी, क्योंकि इनके पास इतने नोट हैं कि वे किसी तहखाने में रखे होंगे। इनकी माला के नोट कहां गए यह मुझे नहीं मालूम, और समाजवादियों ने जिस तरह जमुना जी पर कब्जा कर खनन करके लूटा है, वे तो रोंएगे ही।”
यह चर्चा आम है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने से तीन महीने पहले बड़े नोटों पर पाबंदी इसलिए लगाई गई है कि चुनाव में सपा, बसपा या अन्य पार्टी तहखाने में रखे नोटों का इस्तेमाल न करने पाएं और सिर्फ केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ही चुनाव में नए नोट खर्च करे।
गृह नगर पहुंचीं उमा भारती ने संवाददाताओं से कहा, “इस समय देश की स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा का बुरा हाल है, कालेधन के खिलाफ शुरू हुई मुहिम से आने वाली रकम का उपयोग इन क्षेत्रों में होगा। मुझे तो लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगली कार्रवाई स्वास्थ्य और शिक्षा पर ही होगी।”
देश में 500-1,000 के नोट पर पाबंदी लगाए जाने के फैसले को अच्छा कदम बताते हुए उमा ने कहा, “इस फैसले से जनता को सिर्फ चार-पांच दिन असुविधा झेलना पड़ेगी, मगर इस कार्रवाई से जो कालाधन सामने आएगा, उससे अस्पताल बनेंगे, स्कूल बनेंगे।”
उमा भारती ने मोदी को ‘चांद’ और विपक्ष के नेताओं को ‘जुगनू’ करार दिया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी व अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री पर लगाए जा रहे आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “विपक्ष के नेताओं को अब कुछ न कुछ करना होगा, क्योंकि मोदी इनके सामने काफी बड़े हो गए हैं, मोदी हो गए हैं चांद के जैसे और वे हैं जुगनू के समान, जब जुगनू टिमटिमाएगी तब तो दिखेगी।”
बड़े नोटों को अमान्य किए जाने के फैसले के विरोध पर उमा ने कहा, “इस फैसले से अगर किसी को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है तो वह है समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी, क्योंकि इनके पास इतने नोट हैं कि वे किसी तहखाने में रखे होंगे। इनकी माला के नोट कहां गए यह मुझे नहीं मालूम, और समाजवादियों ने जिस तरह जमुना जी पर कब्जा कर खनन करके लूटा है, वे तो रोंएगे ही।”
यह चर्चा आम है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने से तीन महीने पहले बड़े नोटों पर पाबंदी इसलिए लगाई गई है कि चुनाव में सपा, बसपा या अन्य पार्टी तहखाने में रखे नोटों का इस्तेमाल न करने पाएं और सिर्फ केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ही चुनाव में नए नोट खर्च करे।
ट्रम्प के इस हरकत ने उड़ा दी पीएम मोदी की नींद, पकिस्तान हुआ गदगद
जी हाँ!! अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की 1 अश्लियत ने पीएम मोदी की नींद उड़ा दी है लेकिन इस अश्लियत ने पाकिस्तान को खुशहाल बना दिया है| ट्रम्प के इस हरकत ने उड़ा दी पीएम मोदी की नींद, पकिस्तान हुआ गदगदएक बड़ा खुलासा हुआ है कि डोनाल्ड ट्रंप जो अमेरिका के भावी राष्ट्रपति बन अब दुनिया पर शासन करेंगे, वह पाकिस्तान के कट्टर विरोधी नहीं बल्कि उसके समर्थक हैं। दरअसल पाकिस्तान मीडिया ने इस बात के सुबूत दिए हैं कि ट्रंप एक पाकिस्तानी नागरिक हैं और वहीं उनका जन्म हुआ है।
इससे पहले ट्रंप हमेशा ही पाक को खरी-खरी सुनाते आए हैं और उन्होंने मोदी का गुणगान किया है। यही नहीं उन्होंने आतंक को खत्म करने और मुस्लिमों की एंट्री यूएस में बैन करने को भी कई बार कहा है। लेकिन अगर पाक ये दावे सही साबित होते हैं तो पूरा विश्व तबाही के लिए तैयार हो जाए।
दरअसल ऐसा कोई समीकरण अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। यह एक तरह का मजाक है जो सोशल मीडिया पर किया गया है जिसे पाकिस्तान मीडीया बढ़ा-चढा कर दिखा रहा है। एक फोटो दिखाई गई है जिसमें यह कहा जा रहा है कि यह बच्चा और कोई नहीं डोनाल्ड ट्रंप हैं। यह उनके बचपन की त्स्वीर है जब वो पाक में रहते थे।
लेकिन यह पूरा मामला तेजी से फैल रहा है और लोग इसपर चर्चा कर रहे हैं।
इससे पहले ट्रंप हमेशा ही पाक को खरी-खरी सुनाते आए हैं और उन्होंने मोदी का गुणगान किया है। यही नहीं उन्होंने आतंक को खत्म करने और मुस्लिमों की एंट्री यूएस में बैन करने को भी कई बार कहा है। लेकिन अगर पाक ये दावे सही साबित होते हैं तो पूरा विश्व तबाही के लिए तैयार हो जाए।
दरअसल ऐसा कोई समीकरण अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। यह एक तरह का मजाक है जो सोशल मीडिया पर किया गया है जिसे पाकिस्तान मीडीया बढ़ा-चढा कर दिखा रहा है। एक फोटो दिखाई गई है जिसमें यह कहा जा रहा है कि यह बच्चा और कोई नहीं डोनाल्ड ट्रंप हैं। यह उनके बचपन की त्स्वीर है जब वो पाक में रहते थे।
लेकिन यह पूरा मामला तेजी से फैल रहा है और लोग इसपर चर्चा कर रहे हैं।
निकला मोदी के दावे का दम, बैन से पहले बीजेपी के खाते में ठूंसा मोटा माल… ये है सबूत
नई दिल्ली। 8 नवम्बर 2016, इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट पर बैन का ऐलान किया। साथ ही कहा गया कि पीएम मोदी के अलावा सिर्फ छह लोगों को इसकी जानकारी थी।
अब सामने आ रहा है कि पीएम के नोट बैन के फैसले से पहले भारतीय जनता पार्टी के खातों में भारी नकदी जमा कराई है। इसे लेकर अब विपक्ष हमलावर हो गया है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा के खाते में 8 नवम्बर को एक साथ एक करोड़ रुपए जमा कराए जाने का मामला सामने आया है।
आरोप है कि प्रदेश भाजपा ने कोलकाता में इंडियन बैंक की चित्तरंजन एवेन्यू शाखा में अपने बैंक खाते में एक करोड़ रुपये जमा कराए थे। इस मामले में सीपीआईएम ने सवाल उठाते हुए फैसले की गोपनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।
सीपीएम के प्रदेश सचिव सुर्जया कांत मिश्रा ने कहा है कि यह संभव है कि बीजेपी को नोट बैन के बारे में पहले से जानकारी थी। तभी उन्होंने पूरे देश में बड़ी राशि बैंकों में जमा करवा कर अपना काला धन सफेद कर लिया।
कहा जा रहा है कि जमा की गई राशि में 60 लाख रुपये एक हजार के नोट के थे और बाकी 40 लाख 500 के नोट थे। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने भी ट्वीट कर भाजपा पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बैंक स्टेटमेंट की कॉपी ट्वीट कर बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
अब सामने आ रहा है कि पीएम के नोट बैन के फैसले से पहले भारतीय जनता पार्टी के खातों में भारी नकदी जमा कराई है। इसे लेकर अब विपक्ष हमलावर हो गया है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा के खाते में 8 नवम्बर को एक साथ एक करोड़ रुपए जमा कराए जाने का मामला सामने आया है।
आरोप है कि प्रदेश भाजपा ने कोलकाता में इंडियन बैंक की चित्तरंजन एवेन्यू शाखा में अपने बैंक खाते में एक करोड़ रुपये जमा कराए थे। इस मामले में सीपीआईएम ने सवाल उठाते हुए फैसले की गोपनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।
सीपीएम के प्रदेश सचिव सुर्जया कांत मिश्रा ने कहा है कि यह संभव है कि बीजेपी को नोट बैन के बारे में पहले से जानकारी थी। तभी उन्होंने पूरे देश में बड़ी राशि बैंकों में जमा करवा कर अपना काला धन सफेद कर लिया।
कहा जा रहा है कि जमा की गई राशि में 60 लाख रुपये एक हजार के नोट के थे और बाकी 40 लाख 500 के नोट थे। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने भी ट्वीट कर भाजपा पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बैंक स्टेटमेंट की कॉपी ट्वीट कर बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
185 हत्या और 1,112 डकैतियां करने वाले ‘मलखान सिंह’ को भी पैसे के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ा
डॉन हो या सुपरस्टार, चोर हो या गद्दार, सबका एक ही यार पैसा है. यही वो बला है, जो आपस में सबको लड़वाती है. अभी हाल में ही मोदी सरकार के 500 और 1000 के पुराने नोट बन्द करने के ऐतिहासिक फैसले ने सबको चौंका दिया. अब लोग 500 व 1000 रुपये के पुराने नोटों को बदलने और नए नोट लेने के लिए बैंक पहुंच रहे हैं. ऐसे में ग्वालियर में रह रहे सरेंडर्ड डाकू मलखान सिंह भी बैंक पहुंचे. ये वही मलखान सिंह हैं, जिन्होंने 80 के दशक में 185 हत्याएं कीं और 1,112 डकैतियां डाली थीं.
एक समय था, जब मलखान सिंह की तूती बोलती थी. लोग इनके नाम से कांपते थे, मगर आज इन्हें नए नोटों के लिए घंटों लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ा.
अकसर देखा जाता था कि जब मलखान सिंह बंदूक कंधे पर टांग कर शहर में निकलते थे, तो उनके आस-पास भीड़ लग जाती थी. मगर नोट बदलने के लिए बैंक के सामने लगी भीड़ मलखान को देख कर भी टस से मस नहीं हुई.
ख़ूंखार डकैत मलखान सिंह ने 1983 में भिंड में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसमर्पण कर दिया
एक समय था, जब मलखान सिंह की तूती बोलती थी. लोग इनके नाम से कांपते थे, मगर आज इन्हें नए नोटों के लिए घंटों लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ा.
अकसर देखा जाता था कि जब मलखान सिंह बंदूक कंधे पर टांग कर शहर में निकलते थे, तो उनके आस-पास भीड़ लग जाती थी. मगर नोट बदलने के लिए बैंक के सामने लगी भीड़ मलखान को देख कर भी टस से मस नहीं हुई.
ख़ूंखार डकैत मलखान सिंह ने 1983 में भिंड में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसमर्पण कर दिया
ATM सामान्य होने में लगेगा 2-3 हफ्तों का वक्त: अरुण जेटली
वित्तमंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटोः PTI)
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेस कर 500-1000 रूपए के नोट बंद होने पर अपनी बातें जनता के सामने रखीं. उन्होंने कहा कि ATM दोबारा सामान्य होने में अभी 2-3 हफ्ते लग सकते हैं. इसकी कारण उन्होंने तकनीक को बताया. उन्होंने कहा कि नए नोटों का साइज भी अलग है. इसलिए ATM को रिकैलीबिरेट करने में अभी वक्त लगेगा.
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि लंबी लाइने तो लग रही हैं लेकिन अफरा-तफरी का माहौल नहीं है.
बैंक कर्मचारियों की तारीफ की
वित्त मंत्री ने अरुण जेटली ने बैंक कर्मचारियों की तारीफ करते हुए कहा कि बैंक के अधिकारी सुबह से देर रात तक बिना किसी छुट्टी के काम कर रहे हैं. जेटली ने बताया कि अकेले SBI ने पिछले दो दिनों में 2 करोड़ 28 लाख का ट्रांसजेक्शन किया है. वहीं 58 लाख लोगों ने अब तक नोट्स बदले हैं.
हमें उम्मीद थी कि इस फैसले के बारे में बताना हमारे लिए मुमकिन नहीं था इसलिए हमें इसकी गोपनियता बरकरार रखनी पड़ी. हमें बहुत खेद है कि लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.अरुण जेटली, वित्तमंत्री
अफवाहों का नकारा
वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह की अफवाहें आईं कि नोट में चिप लगी है साथ ही नमक की अफवाहें भी उड़ने लगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. लोग इस पर ध्यान न दें.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेस कर 500-1000 रूपए के नोट बंद होने पर अपनी बातें जनता के सामने रखीं. उन्होंने कहा कि ATM दोबारा सामान्य होने में अभी 2-3 हफ्ते लग सकते हैं. इसकी कारण उन्होंने तकनीक को बताया. उन्होंने कहा कि नए नोटों का साइज भी अलग है. इसलिए ATM को रिकैलीबिरेट करने में अभी वक्त लगेगा.
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि लंबी लाइने तो लग रही हैं लेकिन अफरा-तफरी का माहौल नहीं है.
बैंक कर्मचारियों की तारीफ की
वित्त मंत्री ने अरुण जेटली ने बैंक कर्मचारियों की तारीफ करते हुए कहा कि बैंक के अधिकारी सुबह से देर रात तक बिना किसी छुट्टी के काम कर रहे हैं. जेटली ने बताया कि अकेले SBI ने पिछले दो दिनों में 2 करोड़ 28 लाख का ट्रांसजेक्शन किया है. वहीं 58 लाख लोगों ने अब तक नोट्स बदले हैं.
हमें उम्मीद थी कि इस फैसले के बारे में बताना हमारे लिए मुमकिन नहीं था इसलिए हमें इसकी गोपनियता बरकरार रखनी पड़ी. हमें बहुत खेद है कि लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है.अरुण जेटली, वित्तमंत्री
अफवाहों का नकारा
वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह की अफवाहें आईं कि नोट में चिप लगी है साथ ही नमक की अफवाहें भी उड़ने लगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. लोग इस पर ध्यान न दें.
एक सर्वे में हुआ खुलाशा देश के 82% से ज्यादा लोग नोटबंदी का समर्थन सेलिब्रिटीज से लेकर गरीब लोगो ने दिया समर्थन।
हाल में ही मोदी जी की नोटबंदी पर राजनेता खूब राजनीती कर रहे है..
करे भी क्यू न सारा काला धन तो नेताओ के पास ही होता है। मोदी जी के इस कदम को 80% लोगो बे सराहा वही 12% लोगो का कहना था की ये बेकार कदम है इससे फायदा नहीं होगा और मोदी जी को फैसला वापस लेना चाहिए। वही 8% लोगो ने कहा की कुछ कह नहीं सकते।
आज गावं सहर हर जगह मोदी जी की माध्यम और गरीब वर्ग के लोग तारीफ कर रहे है वही जो कांग्रेस बीजेपी को अमीरों की परी कहती थी वो बौखलाहट से पागल हो रही है।
करे भी क्यू न सारा काला धन तो नेताओ के पास ही होता है। मोदी जी के इस कदम को 80% लोगो बे सराहा वही 12% लोगो का कहना था की ये बेकार कदम है इससे फायदा नहीं होगा और मोदी जी को फैसला वापस लेना चाहिए। वही 8% लोगो ने कहा की कुछ कह नहीं सकते।
आज गावं सहर हर जगह मोदी जी की माध्यम और गरीब वर्ग के लोग तारीफ कर रहे है वही जो कांग्रेस बीजेपी को अमीरों की परी कहती थी वो बौखलाहट से पागल हो रही है।
मोदी के मास्टर प्लान पर इस आदमी ने फेरा पानी
भोपाल| अमान्य किए गए 500 व 1000 रुपये के नोटों को बदलने की सीमा चार हजार रुपये तक है, मगर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक व्यक्ति ने शुक्रवार को अलग-अलग पहचानपत्र दिखाकर एक ही दिन में दो बैंकों से चार-चार हजार, यानी कुल आठ हजार के पुराने नोट बदलवा लिए। एक निजी समाचार चैनल ने यह खुलासा किया।
सरकार का बनाया नियम तोड़ने वाले इस व्यक्ति का नाम डिम्पल विश्वकर्मा है। उसने कहा, “नियम तो पता है, लेकिन मुझे ज्यादा रकम की जरूरत थी।”
500 व 1000 रुपये के नोट बदवाले का नियम बहुत कच्चा है
विश्वकर्मा ने निजी समाचार चैनल के सामने खुलासा किया कि एक बैंक से उसने मतदाता पहचानपत्र दिखाकर चार हजार के पुराने नोट बदलवाए और दो-दो हजार के नए नोट पाए।
इसके बाद वह दूसरे बैंक में पहुंचा और दूसरे पहचानपत्र पर फिर चार हजार के पुराने नोट बदलवा लिए। उसे दोनों बैंकों में नोट बदलवाने में लगभग डेढ़ घंटे लगे।
सरकार ने 500-1000 के नोट बंद करने के बाद एटीएम से एक दिन में दो हजार रुपये निकालने और चार हजार के पुराने नोट बदलवाने तथा चेक से एक दिन में 10 हजार रुपये निकालने का नियम बनाया था। लेकिन भोपाल के एक ग्राहक ने एक दिन में चार हजार रुपये से ज्यादा के पुराने नोट बदलकर यह साबित कर दिया है कि यह नियम कितना कच्चा है।
सरकार का बनाया नियम तोड़ने वाले इस व्यक्ति का नाम डिम्पल विश्वकर्मा है। उसने कहा, “नियम तो पता है, लेकिन मुझे ज्यादा रकम की जरूरत थी।”
500 व 1000 रुपये के नोट बदवाले का नियम बहुत कच्चा है
विश्वकर्मा ने निजी समाचार चैनल के सामने खुलासा किया कि एक बैंक से उसने मतदाता पहचानपत्र दिखाकर चार हजार के पुराने नोट बदलवाए और दो-दो हजार के नए नोट पाए।
इसके बाद वह दूसरे बैंक में पहुंचा और दूसरे पहचानपत्र पर फिर चार हजार के पुराने नोट बदलवा लिए। उसे दोनों बैंकों में नोट बदलवाने में लगभग डेढ़ घंटे लगे।
सरकार ने 500-1000 के नोट बंद करने के बाद एटीएम से एक दिन में दो हजार रुपये निकालने और चार हजार के पुराने नोट बदलवाने तथा चेक से एक दिन में 10 हजार रुपये निकालने का नियम बनाया था। लेकिन भोपाल के एक ग्राहक ने एक दिन में चार हजार रुपये से ज्यादा के पुराने नोट बदलकर यह साबित कर दिया है कि यह नियम कितना कच्चा है।
स्वार्थियों की भी कमी नहीं, सिम के लिए लाइन लग सकती है, देशहित के लिए लाइन होने से है दिक्कत
भारत में जाली नोटों और काले धन पर नियंत्रण करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी करी है
जिसके कारण लोगों को कुछ दिनों से समस्या हो रही है
लोग पुराने नोट बदलवाने के लिए बैंक में जा रहे है और लाइन में लग रहे है क्योंकि भीड़ अधिक हो रही है
लाइन में लगना किसी को अच्छा नहीं लगता, पर देश के ईमानदार लोग लाइन में लगने वाली तकलीफ से भी खुश हैं क्योंकि वो जानते है की प्रधानमंत्री मोदी ने जो फैसला किया है
वो कल उनके और उनके बच्चों के भविष्य के लिए अच्छा है, लोग कुछ दिन तकलीफ सहन करने को तैयार है तभी तो दंगे फसाद नहीं कर रहे बल्कि लाइन में लग रहे है
देश का आम और ईमानदार आदमी इस फैसले से बेहद खुश है, पर इस देश में काला धन लिए बैठे लोगों की नींद तो हराम हो ही गयी, जाली नोटों वालो, आतंकियों, अलगगवादियों की नींद तो हराम हो ही गयी
इसलिए वो अब प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने के लिए अफवाह उड़ा रहे है
और बता रहे है की मोदी ने लोगों पर अत्याचार कर दिया है
आपको बता दें की देशहित में आम आदमी जो देश का ईमानदार आदमी है वो लाइन में खड़े होने के लिए तैयार है, तभी तो उपद्रव की जगह देश में लाइन लग रही है
अफवाह वो लोग उड़ा रहे है जिनका काला धन कचरा हो गया है
वैसे आपको बता दें की देश में स्वार्थी लोगों की भी कोई कमी नहीं है, ये लोग सिनेमा हॉल, क्रिकेट की टिकेट, शराब खरीदने के लिए तो लाइन में लगते है पर इनको देश के भले के लिए लाइन में लगने
में समस्या आ रही है और ये लोग शिकायते बता रहे है
आपको हम कुछ लाइन दिखाना चाहते है और ये बैंक के बाहर की लाइन नहीं बल्कि, "जिओ" सिम के लिए लगने वाली लाइन है
जिसके कारण लोगों को कुछ दिनों से समस्या हो रही है
लोग पुराने नोट बदलवाने के लिए बैंक में जा रहे है और लाइन में लग रहे है क्योंकि भीड़ अधिक हो रही है
लाइन में लगना किसी को अच्छा नहीं लगता, पर देश के ईमानदार लोग लाइन में लगने वाली तकलीफ से भी खुश हैं क्योंकि वो जानते है की प्रधानमंत्री मोदी ने जो फैसला किया है
वो कल उनके और उनके बच्चों के भविष्य के लिए अच्छा है, लोग कुछ दिन तकलीफ सहन करने को तैयार है तभी तो दंगे फसाद नहीं कर रहे बल्कि लाइन में लग रहे है
देश का आम और ईमानदार आदमी इस फैसले से बेहद खुश है, पर इस देश में काला धन लिए बैठे लोगों की नींद तो हराम हो ही गयी, जाली नोटों वालो, आतंकियों, अलगगवादियों की नींद तो हराम हो ही गयी
इसलिए वो अब प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने के लिए अफवाह उड़ा रहे है
और बता रहे है की मोदी ने लोगों पर अत्याचार कर दिया है
आपको बता दें की देशहित में आम आदमी जो देश का ईमानदार आदमी है वो लाइन में खड़े होने के लिए तैयार है, तभी तो उपद्रव की जगह देश में लाइन लग रही है
अफवाह वो लोग उड़ा रहे है जिनका काला धन कचरा हो गया है
वैसे आपको बता दें की देश में स्वार्थी लोगों की भी कोई कमी नहीं है, ये लोग सिनेमा हॉल, क्रिकेट की टिकेट, शराब खरीदने के लिए तो लाइन में लगते है पर इनको देश के भले के लिए लाइन में लगने
में समस्या आ रही है और ये लोग शिकायते बता रहे है
आपको हम कुछ लाइन दिखाना चाहते है और ये बैंक के बाहर की लाइन नहीं बल्कि, "जिओ" सिम के लिए लगने वाली लाइन है
on Friday, 11 November 2016
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पंजाब चुनावो के लिए जमा कर रखा था करोडो, जो हुए कचरा, इसलिए बौखलाए केजरीवाल
Source: Dainikbharat.org
दिल्ली का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, नोटबंदी, काले धन पर नियंत्रण, जाली नोटों पर नियंत्रण से इतना घबराया हुआ है कि कुछ भी अनाब सनाब बोल रहा है।
नोटबंदी पर आज केजरीवाल ने कहा की, "मोदी नोटबंदी की आड़ में महाघोटाला कर रहा है और मेरे पास इस बात का सबूत है, नोट बंदी में बीजेपी के नेता भी शामिल है
और ये सबकुछ गरीब विरोधी है"
आपको बता दें की केजरीवाल की ये पुरानी आदत है, वो इल्जाम लगाता है और कहता है की उसके पास सबूत है
* पर केजरीवाल वो सबूत कभी नहीं दिखाता, और सबूत है तो उसे दिखाने के लिए क्या प्रधानमंत्री मोदी से इजाजत लेनी होगी, दिखाता क्यों नहीं सबूत
सबूत है तो सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगवाने के लिए भी क्या प्रधानमंत्री से इज़ाज़त लेनी होगी
केजरीवाल के सबूतों पर तो उसकी पत्नी सुनीता केजरीवाल तक को भी भरोसा नहीं है, क्योंकि ये शख्स तो अपने बच्चों की झूठी कसम खाने वाला शख्स है
राजनीती के लिए और क्या क्या नहीं कर सकता
और आपको याद तो होगा ही की केजरीवाल के पास शीला दीक्षित, अम्बानी इत्यादि के खिलाफ भी सबूत था
शीला दीक्षित के खिलाफ तो केजरीवाल के पास बक्सा भरकर 370 पन्नो का सबूत था
जिसे कदाचित केजरीवाल ने शीला दीक्षित को करोडो रुपए लेकर बेच दिया, क्योंकि आजतक उस 370 पन्नो के सबूत को देश की जनता ने तो नहीं देखा
और इसी केजरीवाल के पास नितिन गडकरी के खिलाफ भी सबूत था, बाद में गडकरी ने कोर्ट में शिकायत कर दी, केजरीवाल ने मिलकर माफ़ी मांग ली
दिल्ली का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, नोटबंदी, काले धन पर नियंत्रण, जाली नोटों पर नियंत्रण से इतना घबराया हुआ है कि कुछ भी अनाब सनाब बोल रहा है।
नोटबंदी पर आज केजरीवाल ने कहा की, "मोदी नोटबंदी की आड़ में महाघोटाला कर रहा है और मेरे पास इस बात का सबूत है, नोट बंदी में बीजेपी के नेता भी शामिल है
और ये सबकुछ गरीब विरोधी है"
आपको बता दें की केजरीवाल की ये पुरानी आदत है, वो इल्जाम लगाता है और कहता है की उसके पास सबूत है
* पर केजरीवाल वो सबूत कभी नहीं दिखाता, और सबूत है तो उसे दिखाने के लिए क्या प्रधानमंत्री मोदी से इजाजत लेनी होगी, दिखाता क्यों नहीं सबूत
सबूत है तो सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका लगवाने के लिए भी क्या प्रधानमंत्री से इज़ाज़त लेनी होगी
केजरीवाल के सबूतों पर तो उसकी पत्नी सुनीता केजरीवाल तक को भी भरोसा नहीं है, क्योंकि ये शख्स तो अपने बच्चों की झूठी कसम खाने वाला शख्स है
राजनीती के लिए और क्या क्या नहीं कर सकता
और आपको याद तो होगा ही की केजरीवाल के पास शीला दीक्षित, अम्बानी इत्यादि के खिलाफ भी सबूत था
शीला दीक्षित के खिलाफ तो केजरीवाल के पास बक्सा भरकर 370 पन्नो का सबूत था
जिसे कदाचित केजरीवाल ने शीला दीक्षित को करोडो रुपए लेकर बेच दिया, क्योंकि आजतक उस 370 पन्नो के सबूत को देश की जनता ने तो नहीं देखा
और इसी केजरीवाल के पास नितिन गडकरी के खिलाफ भी सबूत था, बाद में गडकरी ने कोर्ट में शिकायत कर दी, केजरीवाल ने मिलकर माफ़ी मांग ली