मोदी की एक और ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, ब्लैकमनी के साथ पॉलिटिक्स को किया टारगेट

नई दिल्ली. मंगलवार शाम आठ बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लैकमनी पर अंकुश लगाने के मकसद से 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट की कानूनी वैधता 8 नवंबर आधी रात के बाद से समाप्त कर दी है। सरकार के इस कदम को ब्लैकमनी पर अंकुश लगाने के सबसे बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है और यही वजह है कि इकोनॉमिस्ट, बैंकर और बिजनेस कम्युनिटी ने इसे एक सही कदम बताया है। हालांकि जिस तरह से यह फैसला घोषित किया गया और अगले दो दिन बैंक व एटीएम बंद रहेंगे, उसके चलते आम आदमी को कई तरह की व्यवहारिक दिक्कतों से जूझना पड़ेगा। लेकिन इस कदम से करेंसी में मौजूद ब्लैकमनी पर काफी हद तक अंकुश लग सकेगा। इस फैसले को प्रधानमंत्री मोदी की पॉलिटिकल सर्जिकल स्ट्राइक के रूप भी देखा जा रहा है, जिसका सीधा असर आने वाले महीनों में होने वाले राज्य विधान सभा चुनावों में ब्लैकमनी के इस्तेमाल में कमी के रूप में भी देखा जा सकता है।


जनता पार्टी की सरकार ने भी लिया था ऐसा फैसला

देश में इमरजेंसी के बाद सत्ता में आई जनता पार्टी की सरकार ने 1000 रुपये के नोट को बंद कर दिया था। ब्लैकमनी पर एक्सपर्ट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (आआईपीए) के पूर्व प्रोफेसर कमल नयन काबरा ने मनीभास्कर को बताया कि उस समय सत्ता में आई जनता पार्टी को अंदेशा था की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी है और उन्होंने यह कदम इंदिरा गांधी द्वारा कमाई गई तथाकथित ब्लैकमनी की समाप्त करने के मकसद से उठाया था।

अगले कुछ महीनों में कई राज्यों में होने हैं चुनाव

यहां भी एक बड़ा सवाल यह है कि पिछले कुछ दशकों में क्षेत्रीय दलों पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगे हैं और यह माना जाता है कि राजनेताओँ ने बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी को कैश में रखा है। खासतौर से आने वाले दिनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां ब्लैकमनी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने की संभावना थी। हालांकि यह माना जाता है कि चुनावों में ब्लैकमनी की सबसे अधिक खपत होती। आने वाले कुछ माह में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के चुनावों को राजनीतिक रूप से सबसे अहम माना जा रहा है। ऐसे में राजनीतिक दलों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम से बड़ा झटका लगेगा।

ब्लैकमनी पर लगेगा अंकुश

प्रोफेसर काबरा का कहना है कि हालांकि ब्लैकमनी की बड़ा हिस्सा एसेट में है। इसमें रियल स्टेट और गोल्ड व स्टाक्स शामिल हैं। लेकिन इस कदम से करेंसी ब्लैकमनी पर बड़ा अंकुश लगेगा। वह इसे मौजूदा समय में एक अहम कदम मानते हैं। हालांकि अचानक लिये गए इस फैसले से लोगों को व्यावहारिक दिक्कतों की बात वह करते हैं। इस कदम के पीछे वह पॉलिटिकल मकसद की बात को भी नहीं नकारते हैं। साथ ही उनका कहना है कि क्षेत्रीय पार्टियों के क्षत्रपों ने पिछले कुछ बरसों में बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी इकट्ठा की है और वह इसका इस्तेमाल चुनावों में करते रहे हैं और आने वाले विधान सभा चुनावों में भी इस तरह की ब्लैकमनी का इस्तेमाल होना तय था। यह कदम क्षेत्रीय दलों के लिए प्रधानमंत्री सर्जिकल स्ट्राइक की तरह है। हाल ही में दक्षिण भारत के एक राज्य के दो बड़े राजनेताओं के बीच सरकारी ब्लैकमनी डिक्लेरेशन स्कीम में बड़े स्तर पर डिक्लेरेशन को लेकर काफी बयानबाजी भी हुई थी। जो राजनेताओँ के पास ब्लैकमनी का संकेत देने के लिए काफी है।

on Wednesday, 9 November 2016 | | A comment?
0 responses to “मोदी की एक और ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, ब्लैकमनी के साथ पॉलिटिक्स को किया टारगेट”

Leave a Reply