झूठी है नए नोट में GPS चिप लगी होने की खबर, यहां से उड़ी थी अफवाह
गैजेट डेस्क। गवर्नमेंट ने 1000 और 500 रुपए के पुराने नोट बंद कर दिए हैं। इसके बदले 500 और 2000 रुपए के नए नोट निकाले हैं, जो 10 नवंबर से मार्केट में आ जाएंगे। मार्केट में ऐसी खबरें हैं कि नए नोट में एक नैनो GPS चिप लगी है, जिसकी मदद से इन्हें ट्रैक किया जा सकता है। हालांकि, इस बात में किसी तरह की सच्चाई नहीं है। RBI ने भी ऐसी किसी बात का जिक्र नहीं किया है। कहां से फैली चिप की अफवाह...
RBI द्वारा 1000 और 500 रुपए के नए नोट को लॉन्चिंग के बाद मार्केट में कई उससे जुड़ी कई बातें सामने आने लगी। ट्विटर पर स्वामी ब्रह्मचित्त ने एक ट्विट किया कि नए नोट में NGC (नैनो जीपीएस चिप) लगी होगी जिसे ट्रैक किया जा सकता है। इसके बाद ट्विटर पर नोट में चिप लगी होने की अफवाह तेजी से फैलने लगी।
ये था स्वामी का ट्वीट :
Swami Brahmachitt @Brahmachitt
Every Rs2000 currency note is embedded with a NGC(Nano GPS Chip) which can b tracked. Plz do a Google search abt NGC. It's #BlackMoney
क्या है GPS?
GPS (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) एक उपग्रह प्रणाली पर काम करता है। GPS टेक्नोलॉजी उपग्रहों द्वारा भेजे गए मैसेज पर काम करती है। इस टेक्नोलॉजी का ज्यादातर इस्तेमाल मोबाइल फोन में किया जाता है। इसकी मदद से यूजर कहीं का भी मैप ओपन कर सकता है। ड्राइविंग के दौरान GPS से काफी मदद मिलती है। इतना ही नहीं, GPS से किसी को ट्रैक भी किया जा सकता है।
RBI द्वारा 1000 और 500 रुपए के नए नोट को लॉन्चिंग के बाद मार्केट में कई उससे जुड़ी कई बातें सामने आने लगी। ट्विटर पर स्वामी ब्रह्मचित्त ने एक ट्विट किया कि नए नोट में NGC (नैनो जीपीएस चिप) लगी होगी जिसे ट्रैक किया जा सकता है। इसके बाद ट्विटर पर नोट में चिप लगी होने की अफवाह तेजी से फैलने लगी।
ये था स्वामी का ट्वीट :
Swami Brahmachitt @Brahmachitt
Every Rs2000 currency note is embedded with a NGC(Nano GPS Chip) which can b tracked. Plz do a Google search abt NGC. It's #BlackMoney
क्या है GPS?
GPS (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) एक उपग्रह प्रणाली पर काम करता है। GPS टेक्नोलॉजी उपग्रहों द्वारा भेजे गए मैसेज पर काम करती है। इस टेक्नोलॉजी का ज्यादातर इस्तेमाल मोबाइल फोन में किया जाता है। इसकी मदद से यूजर कहीं का भी मैप ओपन कर सकता है। ड्राइविंग के दौरान GPS से काफी मदद मिलती है। इतना ही नहीं, GPS से किसी को ट्रैक भी किया जा सकता है।
मोदी की एक और ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, ब्लैकमनी के साथ पॉलिटिक्स को किया टारगेट
नई दिल्ली. मंगलवार शाम आठ बजे राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लैकमनी पर अंकुश लगाने के मकसद से 500 रुपए और 1000 रुपए के नोट की कानूनी वैधता 8 नवंबर आधी रात के बाद से समाप्त कर दी है। सरकार के इस कदम को ब्लैकमनी पर अंकुश लगाने के सबसे बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है और यही वजह है कि इकोनॉमिस्ट, बैंकर और बिजनेस कम्युनिटी ने इसे एक सही कदम बताया है। हालांकि जिस तरह से यह फैसला घोषित किया गया और अगले दो दिन बैंक व एटीएम बंद रहेंगे, उसके चलते आम आदमी को कई तरह की व्यवहारिक दिक्कतों से जूझना पड़ेगा। लेकिन इस कदम से करेंसी में मौजूद ब्लैकमनी पर काफी हद तक अंकुश लग सकेगा। इस फैसले को प्रधानमंत्री मोदी की पॉलिटिकल सर्जिकल स्ट्राइक के रूप भी देखा जा रहा है, जिसका सीधा असर आने वाले महीनों में होने वाले राज्य विधान सभा चुनावों में ब्लैकमनी के इस्तेमाल में कमी के रूप में भी देखा जा सकता है।
जनता पार्टी की सरकार ने भी लिया था ऐसा फैसला
देश में इमरजेंसी के बाद सत्ता में आई जनता पार्टी की सरकार ने 1000 रुपये के नोट को बंद कर दिया था। ब्लैकमनी पर एक्सपर्ट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (आआईपीए) के पूर्व प्रोफेसर कमल नयन काबरा ने मनीभास्कर को बताया कि उस समय सत्ता में आई जनता पार्टी को अंदेशा था की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी है और उन्होंने यह कदम इंदिरा गांधी द्वारा कमाई गई तथाकथित ब्लैकमनी की समाप्त करने के मकसद से उठाया था।
अगले कुछ महीनों में कई राज्यों में होने हैं चुनाव
यहां भी एक बड़ा सवाल यह है कि पिछले कुछ दशकों में क्षेत्रीय दलों पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगे हैं और यह माना जाता है कि राजनेताओँ ने बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी को कैश में रखा है। खासतौर से आने वाले दिनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां ब्लैकमनी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने की संभावना थी। हालांकि यह माना जाता है कि चुनावों में ब्लैकमनी की सबसे अधिक खपत होती। आने वाले कुछ माह में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के चुनावों को राजनीतिक रूप से सबसे अहम माना जा रहा है। ऐसे में राजनीतिक दलों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम से बड़ा झटका लगेगा।
ब्लैकमनी पर लगेगा अंकुश
प्रोफेसर काबरा का कहना है कि हालांकि ब्लैकमनी की बड़ा हिस्सा एसेट में है। इसमें रियल स्टेट और गोल्ड व स्टाक्स शामिल हैं। लेकिन इस कदम से करेंसी ब्लैकमनी पर बड़ा अंकुश लगेगा। वह इसे मौजूदा समय में एक अहम कदम मानते हैं। हालांकि अचानक लिये गए इस फैसले से लोगों को व्यावहारिक दिक्कतों की बात वह करते हैं। इस कदम के पीछे वह पॉलिटिकल मकसद की बात को भी नहीं नकारते हैं। साथ ही उनका कहना है कि क्षेत्रीय पार्टियों के क्षत्रपों ने पिछले कुछ बरसों में बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी इकट्ठा की है और वह इसका इस्तेमाल चुनावों में करते रहे हैं और आने वाले विधान सभा चुनावों में भी इस तरह की ब्लैकमनी का इस्तेमाल होना तय था। यह कदम क्षेत्रीय दलों के लिए प्रधानमंत्री सर्जिकल स्ट्राइक की तरह है। हाल ही में दक्षिण भारत के एक राज्य के दो बड़े राजनेताओं के बीच सरकारी ब्लैकमनी डिक्लेरेशन स्कीम में बड़े स्तर पर डिक्लेरेशन को लेकर काफी बयानबाजी भी हुई थी। जो राजनेताओँ के पास ब्लैकमनी का संकेत देने के लिए काफी है।
जनता पार्टी की सरकार ने भी लिया था ऐसा फैसला
देश में इमरजेंसी के बाद सत्ता में आई जनता पार्टी की सरकार ने 1000 रुपये के नोट को बंद कर दिया था। ब्लैकमनी पर एक्सपर्ट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (आआईपीए) के पूर्व प्रोफेसर कमल नयन काबरा ने मनीभास्कर को बताया कि उस समय सत्ता में आई जनता पार्टी को अंदेशा था की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पास बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी है और उन्होंने यह कदम इंदिरा गांधी द्वारा कमाई गई तथाकथित ब्लैकमनी की समाप्त करने के मकसद से उठाया था।
अगले कुछ महीनों में कई राज्यों में होने हैं चुनाव
यहां भी एक बड़ा सवाल यह है कि पिछले कुछ दशकों में क्षेत्रीय दलों पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगे हैं और यह माना जाता है कि राजनेताओँ ने बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी को कैश में रखा है। खासतौर से आने वाले दिनों में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां ब्लैकमनी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने की संभावना थी। हालांकि यह माना जाता है कि चुनावों में ब्लैकमनी की सबसे अधिक खपत होती। आने वाले कुछ माह में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के चुनावों को राजनीतिक रूप से सबसे अहम माना जा रहा है। ऐसे में राजनीतिक दलों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम से बड़ा झटका लगेगा।
ब्लैकमनी पर लगेगा अंकुश
प्रोफेसर काबरा का कहना है कि हालांकि ब्लैकमनी की बड़ा हिस्सा एसेट में है। इसमें रियल स्टेट और गोल्ड व स्टाक्स शामिल हैं। लेकिन इस कदम से करेंसी ब्लैकमनी पर बड़ा अंकुश लगेगा। वह इसे मौजूदा समय में एक अहम कदम मानते हैं। हालांकि अचानक लिये गए इस फैसले से लोगों को व्यावहारिक दिक्कतों की बात वह करते हैं। इस कदम के पीछे वह पॉलिटिकल मकसद की बात को भी नहीं नकारते हैं। साथ ही उनका कहना है कि क्षेत्रीय पार्टियों के क्षत्रपों ने पिछले कुछ बरसों में बड़े पैमाने पर ब्लैकमनी इकट्ठा की है और वह इसका इस्तेमाल चुनावों में करते रहे हैं और आने वाले विधान सभा चुनावों में भी इस तरह की ब्लैकमनी का इस्तेमाल होना तय था। यह कदम क्षेत्रीय दलों के लिए प्रधानमंत्री सर्जिकल स्ट्राइक की तरह है। हाल ही में दक्षिण भारत के एक राज्य के दो बड़े राजनेताओं के बीच सरकारी ब्लैकमनी डिक्लेरेशन स्कीम में बड़े स्तर पर डिक्लेरेशन को लेकर काफी बयानबाजी भी हुई थी। जो राजनेताओँ के पास ब्लैकमनी का संकेत देने के लिए काफी है।
अमेरिका में अबकी बार 'ट्रंप सरकार'।बधाई हो...
वॉशिंगटन
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलरी क्लिंटन को हराकर अमेरिका के नए राष्ट्रपति बन गए हैं। शुरुआती रुझान में क्लिंटन ट्रंप पर भारी नजर आ रही थीं लेकिन कुछ ही समय बाद ट्रंप ने बाजी पलटते हुए हिलेरी को चारों खाने चित कर दिया। उनकी इस जीत को ऐतिहासिक बताया जा रहा है। वो अमेरिका के अब तक के सबसे उम्र-दराज राष्ट्रपति होंगे।
इस चुनाव में लगभग 20 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इनमें से तीन करोड़ 50 लाख से ज्यादा मतदाता पहले ही मतदान कर चुके हैं। 6 जनवरी 2017 को अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की घोषणा की जाएगी। 20 जनवरी 2017 से अमेरिका का अगला राष्ट्रपति व्हाइट हाउस में कार्यभार संभालेगा।
डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के 19वें रिपब्लिकन राष्ट्रपति बने। पिछले रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश थे।हिलरी क्लिंटन को हराकर अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलरी क्लिंटन को हराकर अमेरिका के नए राष्ट्रपति बन गए हैं। शुरुआती रुझान में क्लिंटन ट्रंप पर भारी नजर आ रही थीं लेकिन कुछ ही समय बाद ट्रंप ने बाजी पलटते हुए हिलेरी को चारों खाने चित कर दिया। उनकी इस जीत को ऐतिहासिक बताया जा रहा है। वो अमेरिका के अब तक के सबसे उम्र-दराज राष्ट्रपति होंगे।
इस चुनाव में लगभग 20 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इनमें से तीन करोड़ 50 लाख से ज्यादा मतदाता पहले ही मतदान कर चुके हैं। 6 जनवरी 2017 को अमेरिका के अगले राष्ट्रपति की घोषणा की जाएगी। 20 जनवरी 2017 से अमेरिका का अगला राष्ट्रपति व्हाइट हाउस में कार्यभार संभालेगा।
डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के 19वें रिपब्लिकन राष्ट्रपति बने। पिछले रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश थे।हिलरी क्लिंटन को हराकर अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप।
दुनिया भर के मुस्लिमो और सेकुलरो की आएगी सामत , हिन्दुवो का दोस्त बनेगा दुनिया का राजा।
- डोनाल्ड ट्रंप 270 इलेक्ट्रोरव वोट्स के जादुई आंकड़े के करीब पहुंच गए हैं। हिलेरी के 209 वोट्स के मुकाबले 244 पर पहुंचे ट्रंप।
- रुझानों के हिसाब से मुकाबला कांटे का बना हुआ है। हिलेरी के 209 इलेक्ट्रोरल वोट्स के मुकाबले रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप 228 पर जीत रहे हैं।
- भारतीय-अमेरिकी कमला हैरिस ने रचा इतिहास, कैलिफोर्निया से सीनेट सीट जीतीं। डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ीं हैं हैरिस।
- रुझानों के हिसाब से मुकाबला कांटे का बना हुआ है। हिलेरी के 209 इलेक्ट्रोरल वोट्स के मुकाबले रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप 228 पर जीत रहे हैं।
- भारतीय-अमेरिकी कमला हैरिस ने रचा इतिहास, कैलिफोर्निया से सीनेट सीट जीतीं। डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ीं हैं हैरिस।