गणतंत्र दिवस पर रेलवे में हाई अलर्ट, आरपीएफ आईजी ने की दलसिंहसराय मामले की जाँच

[[ Muzaffarpur ]] आरपीएफ आईजी रविन्द्र वर्मा ने बुधवार को समस्तीपुर पहुंचे। साथ ही रेलवे में जारी हाई अलर्ट को लेकर स्थानीय आरपीएफ अधिकारी के साथ सुरक्षा और सतर्कता की समीक्षा की।इससे पूर्व आईजी रविन्द्र वर्मा ने कमांडेंट वीपी पण्डित के साथ दलसिंहसराय पहुंचे, जहां रेल पुल संख्या 20 को देखा। जहाँ 22 जनवरी की रात असमाजिक तत्वों ने रेल हादसे की साजिश के लिये अप रेललाइन पर कंक्रीट रख दिया था। लेकिन पेट्रोल मेन की सतर्कता से बड़ी घटना टल गयी। आईजी ने बताया कि घटना स्थल की जाँच की गयी है।


आरपीएफ में भी केस किया गया है। विभिन्न पहलुओ पर जाँच की जा रही है। इसके बाद आईजी ने कमांडेंट कार्यालय का निरीक्षण किया।जहां सुरक्षा के मुद्दे पर आवश्यक आदेश दिए। साथ ही गणतंत्र दिवस को लेक सतर्क और सजग रहने को कहा।

उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस को लेकर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। जिसके कारण सुरक्षा बढ़ा दी गयी है।मौके पर एसी अजय कुमार अहित अन्य आरपीएफ अधिकारी थे।

on Wednesday, 25 January 2017 | | A comment?

मैं गरीब हूँ, मुझे पता है गरीबी क्या होती है : राहुल गाँधी

जबसे राहुल गाँधी फिरंगी देश का भ्रमण कर लौटे है कुछ नया करने की कोशिश में है। ये कोशिश कांग्रेस को सफलता दिलाने के लिए की जा रही है लेकिन राहुल गाँधी करना कुछ चाहते है पर होता कुछ और है। कुछ ऐसा ही नजारा उत्तराखंड में देखने को मिला। जब राहुल गाँधी ने अपने कुर्ते की जेब को फाड़कर उसमें हाथ डालकर लोगों को बताया देखिये ये मेरी हैसियत है।  mujhe gribi pta hai 

हालांकि, इसका तात्पर्य न लोग समझ पाए और न ही राहुल गाँधी इसे समझा सके। हां, राहुल गाँधी ने इस एक्टिंग के बाद कहा कि मैं गरीब हूँ। देखिये मेरी हालात, मेरे पास पैसे नहीं है। नोटबंदी के बाद से देश गरीबी की ओर अग्रसर है। mujhe gribi pta hai 

राम-राम जपना, पराया माल अपना

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी कहते है अच्छे दिन आ गये। ये है अच्छे दिन। जेब में पैसा नहीं है और कहते है अच्छे दिन आ गये। सेल्फीमैन गरीबो के साथ नहीं बल्कि अमीरों के साथ सेल्फी लेते है। मुझे देखिये मैंने ये कुर्ता 500 की पहनी है, जबकि देश के पीएम 15 लाख का सूट पहनते है। इसे कहते है अच्छे दिन। पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों के लिए अच्छे दिन लाये बाकि लोगों के लिए तो बुरे दिन है। जिसे काला दिन भी कह सकते है। mujhe gribi pta hai 

मैं अपने दूसरे बेटे का नाम बाबर रखूँगा: सैफ अली खान

पीएम मोदी को देश की गरीबी नहीं दिखती है वो विदेश यात्रा में मस्त रहना चाहते है। ये पैसा हम जैसे भाइयों का है। जिसका पीएम मोदी गलत इस्तेमाल कर रहे है। मुझे दुःख होता है कि किसान, देश की युवाशक्ति आत्महत्या कर रहे है। वही मोदी सरकार ऐसो-आराम में मस्त है। mujhe gribi pta hai 

राहुल गाँधी ने लोगों से पूछा क्या आपके खाते में 15 लाख रूपये आ गए ? जबाब नहीं आया। तब राहुल गाँधी गुनगुनाने के लहजे में बोले राम-राम जपना, पराया माल अपना। मोदी सरकार देश की जनता को राम के नाम पर लूट रही है। जिसका जबाब जनता जनार्दन अवश्य देगी

on Tuesday, 17 January 2017 | | A comment?

कांग्रेस ने योजनाबद्ध तरीके से करवाया 84 दंगा: बादल


मुक्तसरः दंगों की फायलें सार्वजनिक करने के मामले के बीच मुख्यमंत्री बादल के एक ओर बयान ने मामले को और गर्मा दिया है। मुकतसर में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान बादल ने आरोप लगाते हुए कहा कि सिखों की हत्या कांग्रेस द्वारा पूरी योजनाबद्ध तरीके से करवाई गई थी। डी.यू. मामले पर बोले बादल बादल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक किताब में भगत सिंह को आतंकवादी बताए जाने की निंदा की है। बादल का कहना है कि उन्होंने अपनी जिदगी में भगत सिंह से बड़ा देश भक्त कोई भी नहीं देखा। अब सी.पी.एस बनेंगे मंत्री राज्य सरकार द्वारा 7 विधायकों को सी.पी.एस बना कर कैबिनेट में दाख़िला देने के बाद अब मुख्यमंत्री बादल अपने मंत्रीमंडल में फेरबदल करके पुराने मुख्य सचिवों को मंत्री बनाने जा रहे हैं। मुक्तसर में पत्रकारों के साथ बातचीत दौरान बादल ने इसके संकेत दिए है।आपको बता दें कि अपनी कैबिनेट में 25 मुख्य संसदीय सचिव रखने वाली अकाली दल दिल्ली की केजरीवाल सरकार की इसी नीति की निंदा कर चुकी है। चुनावी साल होने के कारण बादल सभी विधायकों को खुश करने के मूड में हैं।

on Thursday, 12 January 2017 | A comment?

समाजवादी पार्टी का चुनाव निशान साइकिल हो सकता है सीज!


समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को उनके ही पुत्र और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राजनीति की बिसात पर शह दे दी है. जनेश्चर मिश्र पार्क में सपा के विशेष अधिवेशन में अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया गया है. वहीं अब राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे मुलायम सिंह यादव को संरक्षक घोषित किया गया है.
राजनीतिक जानकार इस कदम को समाजवादी पार्टी के लिए नुकसानदेह मानकर चल रहे हैं. उनका कहना है कि हो सकता है कि चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव के दौरान सपा का चुनाव निशान साइकिल सीज कर दे. वहीं अगर अखिलेश द्वारा इस्तीफा देने या शिवपाल गुट द्वारा समर्थन वापसी का कदम उठाया जाता है तो इस स्थिति का पूरा लाभ केंद्र सरकार उठाने की कोशिश करेगी, प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग सकता है, चुनाव टल सकते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार राम दत्त त्रिपाठी कहते हैं कि अब यह पूरी तरह साफ हो गया कि समाजवादी पार्टी दो खेमों में बंट चुकी है. एक अखिलेश गुट है, दूसरा मुलायम गुट है. आज अखिलेश की ताजपोशी के बाद इनकी तरफ से चुनाव आयोग को सूचना दी जाएगी, जिसके बाद चुनाव आयोग इस पर रिकॉर्ड तलब करेगा.
साल भर पहले से राम गोपाल पार्टी में कह रहे थे कि मुझे नई पार्टी बनानी है. इसी पर रोक लगाने के लिए मुलायम ने पहले अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया था, फिर राम गोपाल को निष्कासित किया था.
पार्टी के नियम कानून और संविधान के अनुसार साथ ही चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में अभी तक मुलायम सिंह यादव अध्यक्ष हैं. अब जब अखिलेश गुट दावा करेगा तो उसके बाद चुनाव आयोग रूल्स के हिसाब से परीक्षण करेगा. पार्टी में किसका दावा बनता है, उसके लिए एक प्रक्रिया निर्धारित है. पार्टी के जो विधायक हैं, सांसद हैं, हारे हुए उम्मीदवार हैं, उनकी राय लेने आदि की एक निश्चित प्रक्रिया है.
इस विवाद में समाजवादी पार्टी का चुनाव निशान साइकिल सीज हो सकता है क्योंकि इतनी जल्दी इसका निर्णय नहीं हो पाएगा. पहले चुनाव आयोग नोटिस जारी करेगा, फिर सुनवाई करेगा, तय करेगा. जिसमें काफी समय लगेगा. चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ भी दूसरा गुट हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जा सकता हैं. एक लंबी प्रकिया है. जाहिर है तब तक विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुके होंगे.
दूसरा खतरा ये भी है कि इस विवाद में अब सरकार गिर सकती है क्योंकि सरकार गिराने के लिए 20 से 25 विधायक ही चाहिए. अगर शिवपाल सहित 20 से 25 विधायक राज्यपाल के पास जाते हैं तो सरकार गिर सकती है. ऐसी स्थिति में एक संभावना ये भी बनती है कि चूंकि बीजेपी में नोटबंदी की वजह से बहुत से ऐसे लोग हैं, जो असहज हैं, अभी चुनाव नहीं चाहते हैं. तो ये भी कोशिश हो सकती है कि राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए और चुनाव टल जाएं.
एक संभावना ये भी है कि अखिलेश भी इस्तीफा देने जा सकते हैं कि और खुद को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो गेंद गवर्नर और केंद्र के पाले में हैं. वहीं शिवपाल और अखिलेश इस तरह का कदम नहीं उठाते तो मामला चुनाव आयोग के पास ही रहेगा.

on Sunday, 1 January 2017 | A comment?